
जय जोहार संवाददाता – हरी देवांगन/ उल्टा चोर कोतवाल को डांटे : कुप्रबंधन का शिकार इंडिगो, देशभर के हवाई अड्डों पर हंगामा
हमेशा “सफल और किफायती विमान सेवा” का तमगा अपने नाम रखने वाली इंडिगो एयरलाइंस आज अपने ही कुप्रबंधन के कारण चौतरफा विरोध और तीखी निंदा का सामना कर रही है। बीते एक सप्ताह में इंडिगो की अव्यवस्था इस कदर बढ़ी कि देश-भर ही नहीं, बल्कि विदेश जाने-आने वाले हजारों यात्री भारी परेशानियों में फंस गए हैं।
जानकारी के अनुसार अब तक देश के भीतर 750 से अधिक उड़ानें रद्द हो चुकी हैं। इसका सीधा असर आम यात्रियों पर पड़ा है—किसी को पारिवारिक कार्य हेतु यात्रा करनी थी, किसी को इलाज के लिए, किसी को इंटरव्यू या अवकाश के बाद ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए। अचानक फ्लाइट कैंसिल होने और वैकल्पिक व्यवस्था न मिलने से लोग हवाई अड्डों पर ही फंसे रह गए।
स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि मामला केंद्र सरकार तक पहुंचने के साथ-साथ जनहित याचिका के रूप में सुप्रीम कोर्ट तक भी गया है। बावजूद इसके, विमान कंपनी और नागर विमानन मंत्रालय के बीच एक-दूसरे पर दोषारोपण का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। व्यवस्था सुधारने के बजाय बयानबाजी और राजनीति ने हालात को और भयावह बना दिया है।
अतिरिक्त ट्रेनें : ऊंट के मुंह में जीरा:
केंद्र सरकार द्वारा अतिरिक्त ट्रेनों के संचालन की घोषणा यात्रियों के लिए ऊंट के मुंह में जीरे जैसी साबित हो रही है। जिन हालातों में हवाई यात्री फंसे हैं, उसके मुकाबले यह व्यवस्था नाकाफी है। ट्रेनों में सीट और बर्थ मिलना लगभग नामुमकिन हो गया है, जिससे यात्रियों की परेशानी और बढ़ गई है।
अन्य विमान कंपनियों और यातायात साधनों की लूट:
इंडिगो की विफलता के बीच अन्य विमान कंपनियां और निजी यातायात साधन यात्रियों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं। न केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार द्वारा इस लूट पर कोई ठोस निगरानी दिखाई दे रही है। ठंड के मौसम में परिवार समेत फंसे यात्रियों के लिए किफायती साधन न मिलना बड़ी चुनौती बन गया है।
हवाई यात्रा में भी ट्रेन जैसी मारामारी:
त्योहारों के समय ट्रेनों में टिकट-बर्थ को लेकर मारामारी आम बात है, लेकिन अब यही हाल हवाई यात्रा में भी देखने को मिल रहा है। इतिहास में शायद ही कभी ऐसी स्थिति आई हो जब फ्लाइट में भी यात्रियों को इस स्तर की अव्यवस्था झेलनी पड़ी हो। हालात ऐसे हैं कि हवाई अड्डों पर फंसे यात्री “ना घर के रह गए, ना घाट के।”
रिफंड को लेकर अंधेरगर्दी:
सबसे गंभीर मुद्दा टिकट कैंसिलेशन और रिफंड का है। कई यात्रियों का कहना है कि टिकट निरस्त करने में भी परेशानी आ रही है, और जिनका कैंसिल हो चुका है, उन्हें अब तक रिफंड नहीं मिला। इससे यात्रियों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। हालांकि उच्च स्तर से निर्देश दिए गए हैं कि बिना कटौती के तत्काल रिफंड किया जाए, लेकिन ज़मीनी हकीकत इसके विपरीत है।
कुल मिलाकर, इंडिगो की यह लापरवाही और सरकारी स्तर पर समन्वय की कमी देशभर के यात्रियों के लिए भारी संकट बन चुकी है। यदि शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह अव्यवस्था और भी विकराल रूप ले सकती है।











