
संपादक धीरेंद्र कुमार जायसवाल/ गिरफ्तारी न होने पर आदिवासी युवती की आत्मदाह की चेतावनी; पुलिस की भूमिका पर भी सवाल
रायपुर/कोरबा | स्पेशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट
कोरबा जिले में SECL के कर्मचारी दीनदयाल गुप्ता (59) पर लगातार गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं।
पहले नौकरी दिलाने के नाम पर 2 लाख रुपये की ठगी, शोषण की कोशिश और धमकाने का मामला FIR तक पहुँचा।
अब उस पर फर्जी पिता का नाम बताकर SECL में नौकरी हासिल करने का भी बड़ा आरोप लग चुका है।
मामला इतना संवेदनशील हो गया है कि पीड़िता — जो एक आदिवासी युवती है — ने गिरफ्तारी न होने पर IG ऑफिस के सामने आत्मदाह करने की चेतावनी भी दे दी है।
फिर भी आरोपी अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर है।
पहला आरोप — नौकरी का लालच, 5 लाख की मांग और 2 लाख की ठगी:
20 मार्च 2025 को मुलाकात के बाद आरोपी ने पीड़िता को SECL में नौकरी दिलाने का झांसा दिया।
उसने 5 लाख रुपये माँगे।
पीड़िता ने अपनी जमीन गिरवी रखकर 2 लाख रुपये नकद दे दिए।
लेकिन:
न नौकरी लगी!
न पैसे लौटाए गए!
उल्टा 3 लाख और लाने का दबाव बनाया गया!
शोषण की कोशिश — “एक रात साथ बिताओ” का आरोप:
जब युवती ने पैसे माँगे तो दीनदयाल ने उसे अपने क्वार्टर (DQ-M-8 बलगी कॉलोनी) बुलाया और कहा—
“जब तक पूरे 5 लाख नहीं दोगी, नौकरी नहीं लग सकती।”
पीड़िता का आरोप है कि दीनदयाल ने इसके बाद
एक रात साथ बिताने का प्रस्ताव दिया, और विरोध करने पर जबरदस्ती की कोशिश की।
SP के निर्देश पर FIR — लेकिन गिरफ्तारी अब तक नहीं:
SP सिद्धार्थ तिवारी ने गंभीरता देखते हुए आरोपी पर BNS की धारा 318(4) व 74 के तहत FIR दर्ज करने के निर्देश दिए।
इसके बावजूद:
आरोपी आज भी खुलेआम घूम रहा है!
पीड़िता को थाना स्तर से केस वापस लेने का दबाव!
C.S. वैष्णव नामक कर्मचारी ने भी निजी नंबर से फोन कर धमकाने का आरोप!
पीड़िता ने कहा—
“एक सप्ताह में गिरफ्तारी न हुई तो IG ऑफिस के सामने आत्मदाह कर लूंगी।”
इस वीडियो के वायरल होते ही प्रशासनिक हलकों में खलबली मच गई है।
दूसरा बड़ा खुलासा — पिता का फर्जी नाम बताकर SECL में नौकरी लेने का आरोप
ग्रामीणों और दस्तावेज़ों से सामने आया है कि आरोपी दीनदयाल अपने पिता का नाम समारू बताता है।
लेकिन ग्राम चैनपुर दीपिका के असली समारू के सिर्फ तीन बेटे हैं:
1. गेंदराम 2. संतराम 3. बहोरन
इनमें कहीं भी दीनदयाल नाम नहीं है।
इसके बावजूद आरोपी ने पुलिस को दिए लिखित बयान (25 अप्रैल 2025) में लिखा:
“दीनदयाल पिता समारू, पंप ऑपरेटर, SECL बलगी परियोजना।”
इसका मतलब—
आरोपी ने SECL में नौकरी लेते समय फर्जी पिता का नाम, संभवतः फर्जी दस्तावेज़ उपयोग किए होंगे।
इससे बन सकते हैं बड़े अपराध:
फर्जी पहचान के आधार पर PSU में नौकरी!
सरकारी दस्तावेज़ों में धोखाधड़ी!
जालसाजी (BNS की 420/468/471 जैसी धाराएँ)!
ग्रामीणों का दावा:
“सभी आधार कार्ड और पता एक ही समारू का है, फिर दीनदयाल कहाँ से आ गया?”
ग्रामीणों का गुस्सा — “पुलिस कितने में बिकी?”
ग्रामीणों ने खुलकर आरोप लगाए—
“अगर कोई गरीब होता तो पुलिस उसी दिन पकड़ लेती।”
“SECL का कर्मचारी है इसलिए बचाया जा रहा है।”
“थाना समझौते के लिए दबाव डाल रहा है।”
“आरोपी और उसके बेटे की कॉल डिटेल निकल जाए तो कई पुलिसकर्मी फँसेंगे।”
ग्रामीणों और पीड़िता ने रेंज लेवल या स्पेशल टीम से जांच की मांग की है।
अहम सवाल जो पुलिस से पूछे जा रहे हैं:
1. FIR के बाद भी गिरफ्तारी क्यों नहीं?
2. पीड़िता आदिवासी है, फिर भी एट्रोसिटी एक्ट क्यों नहीं लगाया गया?
3. यदि पिता का नाम फर्जी है, तो क्या SECL के नियुक्ति दस्तावेज़ों की जांच होगी?
4. क्या आरोपी थाने में “प्रभाव” का उपयोग कर रहा है?
5. आरोपी व पुलिसकर्मियों की कॉल डिटेल कब निकलेगी?
6. क्या SECL प्रबंधन दीनदयाल की सर्विस बुक सार्वजनिक करेगा?
SP और IG की भूमिका पर सबकी निगाहें:
SP सिद्धार्थ तिवारी का कहना है कि:
महिला संबंधित अपराधों में सख्त कार्रवाई होगी!
जांच निष्पक्ष होगी!
60 दिनों के भीतर कार्रवाई संभव!
लेकिन जनता का बड़ा सवाल—
“आखिर आरोपी की गिरफ्तारी में देरी क्यों?”
निष्कर्ष:
SECL कर्मचारी दीनदयाल गुप्ता के खिलाफ:
नौकरी के नाम पर ठगी!
शोषण की कोशिश!
धमकी!
पुलिस मिलीभगत का संदेह!
और अब — फर्जी पिता का नाम बताकर नौकरी लेने जैसा गंभीर आरोप
इन सबने मामले को पूरी तरह हाई-प्रोफाइल और संवेदनशील बना दिया है।
अब सबकी नजरें हैं:
➡️ IG बिलासपुर रेंज
➡️ SP कोरबा
➡️ SECL प्रबंधन
पर —
क्या पीड़िता को न्याय मिलेगा या यह मामला भी “प्रभावशाली आरोपी” के दबाव में दबा दिया जाएगा?











