
संपादक धीरेंद्र कुमार जायसवाल/ जशपुर ‘जनसंपर्क कांड’ की गूंज दिल्ली तक: सत्य दिखाने वाले पत्रकार को बिना कोर्ट ‘अपराधी’ घोषित किया गया, 1 करोड़ के नोटिस के बाद PMO ने लिया संज्ञान
रायगढ़/जशपुर/नई दिल्ली |
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक अधिकारी और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के बीच का टकराव अब राजधानी दिल्ली तक पहुंच चुका है। जनसंपर्क विभाग की सहायक संचालक नूतन सिदार द्वारा पत्रकार को डराने, बदनाम करने और बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के उसे लिखित रूप में ‘अपराधी’ घोषित करने का मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुंच गया है।
मूल विवाद: प्रताड़ित कर्मचारी की व्यथा और अधिकारी पर गंभीर आरोप:
जनसंपर्क विभाग के अंशकालीन कर्मचारी रविन्द्रनाथ राम ने आरोप लगाया कि उन्हें 2012 से सिर्फ 4600 रुपये मासिक वेतन मिल रहा था, लेकिन नूतन सिदार उनसे झाड़ू-पोछा, बर्तन साफ करने से लेकर निजी घरेलू काम तक करवाती थीं।
प्रताड़ना से त्रस्त होकर 13 अगस्त 2025 को उन्होंने कीटनाशक पीकर आत्महत्या का प्रयास किया।
इस घटना और कथित फर्जी नियुक्ति तथा शोषण के मामले को स्वतंत्र पत्रकार ऋषिकेश मिश्रा ने उजागर किया। यहीं से विवाद भड़क गया।
अधिकारी बनी ‘जज’: पत्रकार को लिखित में ‘Criminal’ घोषित किया:
2 सितंबर 2025 को नूतन सिदार ने पुलिस को दिए आवेदन में पत्रकार ऋषिकेश मिश्रा को दो बार ‘अपराधी’ (Criminal) कहा—
जबकि भारत के संविधान के अनुसार किसी को दोषी बताने का अधिकार केवल अदालत को है, किसी अधिकारी को नहीं।
सबसे चौंकाने वाली बात—
उन्होंने यह अपमानजनक पत्र कलेक्टर के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप में वायरल कर दिया, जिससे पत्रकार की सामाजिक प्रतिष्ठा को भारी क्षति पहुँची।
‘VIP डाक सेवा’: रात 8:25 बजे खोला गया डाकघर:
रायगढ़ डाकघर रात 8:25 बजे (कार्यालयर बंद होने के ढाई घंटे बाद) खोला गया और अधिकारी की शिकायत को विशेष रूप से पुलिस अधीक्षक व थानेदार तक भेजा गया।
सवाल:
जब आम जनता 5 बजे के बाद डाकघर का ताला बंद पाती है, तो एक अधिकारी के लिए आधी रात में इसे क्यों खोला गया?
1 करोड़ का मानहानि नोटिस — पत्रकार की कड़ी प्रतिक्रिया:
अधिकारी ने पत्रकार को चुप कराने के लिए ₹1 करोड़ का नोटिस भेजा और आत्महत्या के आरोप में फंसाने की धमकी दी।
जवाब में पत्रकार ऋषिकेश मिश्रा ने ₹50 लाख क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए नोटिस भेजा और 15 दिनों में सार्वजनिक माफी की मांग की।
पुलिस और प्रशासन की संदिग्ध चुप्पी:
RTI के माध्यम से दस्तावेज मांगने पर लैलूंगा थाना और रायगढ़ पुलिस ने जानकारी देने में असामान्य ढिलाई बरती।
DSP कार्यालय ने भी लिखित रूप में स्वीकार किया कि थाना जानकारी उपलब्ध नहीं करा रहा, जिससे SDOP की भूमिका संदेह के दायरे में आ गई।
अब PMO की बारी: शिकायत ‘Under Process’:
6 दिसंबर 2025 को पत्रकार ने यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुंचाया।
शिकायत (पंजीकरण संख्या PMOPG/D/2025/0229404) स्वीकार कर ली गई है और 12/12/2025 तक इसे कार्रवाई हेतु प्रोसेस में डाल दिया गया है।
पत्रकार की प्रमुख मांगें—
बिना दोष सिद्ध किए ‘अपराधी’ कहने पर अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज की जाए।
सिविल सेवा आचरण नियमों के उल्लंघन पर नूतन सिदार को बर्खास्त किया जाए।
बहस का बड़ा सवाल: लोकतंत्र पर किसका हमला?
जनसंपर्क विभाग का उद्देश्य सरकार की सकारात्मक छवि बनाना है, लेकिन इसी विभाग की अधिकारी की कार्रवाई ने सरकार, प्रशासन और कानून व्यवस्था—all तीन को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि—
क्या प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, अपने गृह जिले में हुए इस प्रकरण पर निर्णायक कदम उठाते हैं?











