
🚨 संवाददाता धीरेंद्र कुमार जायसवाल🔥 तिल्दा-नेवरा में सट्टे का साम्राज्य!
प्रशासन की बेबसी या मिलीभगत का खेल? 🔥🚨
तिल्दा-नेवरा (छत्तीसगढ़)।
नगर में अवैध सट्टे का कारोबार इन दिनों खुलेआम फल-फूल रहा है। हालात यह हैं कि रेलवे ओवरब्रिज के नीचे और कैंप क्षेत्र के भीतर हर शाम से लेकर देर रात तक सट्टा पर्ची का खेल चलता है और पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे यह कारोबार तेजी से बढ़ रहा है।
👉 स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस पूरे खेल के पीछे बड़े और नामचीन चेहरों का हाथ है। इनकी पकड़ इतनी मजबूत है कि कोई भी कार्रवाई सीधे-सीधे इन तक नहीं पहुंच पाती।
👉 अक्सर होता यह है कि पुलिस केवल छोटे खिलाड़ियों पर ही कार्रवाई कर अपनी खानापूर्ति करती है।
👉 “असली सट्टा किंग हर बार बच निकलता है” – यह चर्चा अब आम हो चुकी है।
⚠️ लोगों की शंका और सवाल:
लोगों में यह भी चर्चा है कि क्या प्रशासन को भी इस धंधे से हिस्सेदारी मिलती है? अगर नहीं, तो फिर इतनी बड़ी अवैध गतिविधि पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? यही वजह है कि लोगों के मन में पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
📌 आखिरकार सवाल यह है कि कब तक तिल्दा-नेवरा का यह काला कारोबार इसी तरह खुलेआम चलता रहेगा?
📌 कब वह दिन आएगा जब असली सट्टा किंग पुलिस की गिरफ्त में होगा?
📌 या फिर प्रशासन इसी तरह बेबस होकर आंख मूंदे देखता रहेगा?
🚩 सट्टे के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे स्थानीय लोग अब साफ-साफ कह रहे हैं कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो यह धंधा और बढ़ेगा और शहर अपराध की दलदल में फंस जाएगा।