
संवाददाता धीरेंद्र कुमार जायसवाल/ ग्राम सभा की बैठक पर सवाल: नियमों को दरकिनार कर रही पंचायत कोहका?
रायपुर/तिल्दा-नेवरा (ग्राम पंचायत कोहका):
ग्राम पंचायत कोहका में ग्राम सभा की बैठक को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पंचायत क्षेत्र में 5 अक्टूबर को ग्राम सभा का बैठक रखा गया, जिसकी सूचना 4 अक्टूबर की रात लगभग 8 बजे कोतवाल के माध्यम से मुनादी कर दी गई। इस पर ग्रामीणों ने कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि इतने कम समय में सूचना देना न तो उचित है और न ही नियमसम्मत।
❓ उठे सवाल –
क्या ग्राम सभा की बैठक की सूचना देने का यही तरीका है?
क्या ग्रामीणों को जानबूझकर बैठक से दूर रखने की कोशिश की जा रही है?
क्या पंचायत केवल कागजी खानापूर्ति कर रही है?
📜 नियम क्या कहते हैं?
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 और ग्राम सभा नियम 1994 के अनुसार –
1. ग्राम सभा की बैठक का सूचना कम से कम 7 दिन पूर्व देना अनिवार्य है।
2. सूचना लिखित रूप से पंचायत भवन, नोटिस बोर्ड और सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा की जानी चाहिए।
3. केवल मुनादी कर, वह भी एक रात पहले, सूचना देना कानूनी रूप से गलत और प्रक्रिया का उल्लंघन है।
4. ग्राम सभा का उद्देश्य ही है कि ग्रामीण पर्याप्त समय पाकर बैठक में शामिल हों और अपनी समस्याएँ उठा सकें।
⚡ ग्रामीणों का आक्रोश:
ग्राम पंचायत कोहका के ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत प्रतिनिधि आनन-फानन में बैठक रखकर केवल औपचारिकता पूरी करना चाहते हैं। इससे असली मुद्दे और समस्याएँ दब जाती हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि –
“ग्राम सभा हमारी है, लेकिन सूचना इतनी देर से दी जाती है कि आम ग्रामीण शामिल ही नहीं हो पाते। यह नियमों का उल्लंघन और लोकतंत्र के साथ छल है।”
✍️ ग्रामीणों की मांग:
बैठक की सूचना समय पर और लिखित रूप में दी जाए।
ग्राम सभा के कार्यवृत्त को सार्वजनिक किया जाए।
पंचायत की कार्यवाही पारदर्शी और नियमों के अनुसार हो।
ग्राम सभा को केवल कागजी कार्यवाही न बनाकर वास्तव में ग्राम स्वराज का मंच बनाया जाए।
📌 निष्कर्ष:
ग्राम पंचायत कोहका (तहसील तिल्दा-नेवरा, जिला रायपुर) में ग्राम सभा की बैठक बुलाने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। यदि नियमों का पालन नहीं होगा तो ग्राम सभा का वास्तविक उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा। प्रशासन और पंचायत प्रतिनिधियों को चाहिए कि वे कानून का पालन करते हुए ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित करें।