
✍️ जय जोहार सीजी न्यूज़ / संवाददाता: धीरेंद्र कुमार जायसवाल / 📞 9131419735
🔷 सासाहोली, कोटा, सिनोधा-खपरी सहित कई गांवों में जारी लाल ईंट भट्टों और रेत-मुरम उत्खनन का अवैध धंधा, सरकारी आदेशों की उड़ रही धज्जियां..
तिल्दा-नेवरा।
तिल्दा-नेवरा और आसपास के गांवों में अवैध लाल ईंट भट्टों, रेत और मुरम के खनन का कारोबार बेधड़क जारी है।
शासन की पाबंदियों और पर्यावरणीय चेतावनियों के बावजूद प्रशासनिक अमला चुप्पी साधे बैठा है।
इससे न केवल सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि मिट्टी, पानी और जंगल जैसे प्राकृतिक संसाधनों की भी बर्बादी हो रही है।
सासाहोली, कोटा, सिनोधा-खपरी और आसपास के गांवों में लाल ईंट भट्टे कई सालों से अवैध रूप से चल रहे हैं।
कोहका, घुलघुल और सिनोधा जैसे इलाकों में मुरम और रेत की अवैध खुदाई धड़ल्ले से हो रही है।
ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय हल्का पटवारी से लेकर खनिज और राजस्व विभाग के अधिकारी सब जानते हुए भी केवल खानापूर्ति करते हैं।
कभी-कभार जुर्माना लगाकर और जब्त मशीनें लौटाकर कार्रवाई के नाम पर रस्मअदायगी कर दी जाती है।
🌳 ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों की चेतावनी
ग्रामीणों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि अंधाधुंध पेड़ कटाई, गहरी खुदाई और अवैध खनन से भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है।
भविष्य में यह इलाका गंभीर जलसंकट की चपेट में आ सकता है।
लोगों का कहना है कि ऐसी गतिविधियों को केवल आर्थिक अपराध न मानकर पर्यावरण के खिलाफ गंभीर अपराध मानकर सख्त सजा दी जानी चाहिए।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि उद्योगों के लिए होने वाली जनसुनवाइयां सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई हैं।
जनता के विरोध और आपत्तियों को अनदेखा कर उद्योग स्थापित कर दिए जाते हैं।
🔷 कब जागेगा प्रशासन?
प्रशासन की निष्क्रियता और अधिकारियों की मिलीभगत पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्थानीय लोग पूछ रहे हैं कि आखिर कब तक प्राकृतिक संसाधनों की कीमत पर अवैध कारोबारियों को फायदा पहुंचाया जाता रहेगा?
ग्रामीणों ने पारदर्शी जांच और कठोर कार्रवाई की मांग की है ताकि पर्यावरण और भविष्य की पीढ़ियों को बचाया जा सके।
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