
संवाददाता धीरेंद्र कुमार जायसवाल/ “सोने की कीमत… इज़्ज़त से ज़्यादा नहीं” — नंदकुमार सोनी की सच्ची कहानी
महाराष्ट्र।
1997 में महाराष्ट्र के नासिक शहर में विजय बैंक की एक शाखा में करोड़ों रुपये का बड़ा घोटाला सामने आया। करीब ₹6.7 करोड़ की रकम फर्जी टेलीग्राफिक ट्रांसफर और नकली डिमांड ड्राफ्ट के जरिए निकालकर सोना खरीदा गया।
इस सोने में से 205 सोने की ईंटें नासिक के एक प्रतिष्ठित जौहरी नंदकुमार बाबूलाल सोनी के पास पहुँचीं। तभी शुरू हुई उनकी कठिन परीक्षा।
CBI ने लगाया चोरी का आरोप
जांच में CBI ने दावा किया कि यह सोना बैंक फ्रॉड की रकम से खरीदा गया और सोनी ने ‘जानबूझकर’ चोरी की संपत्ति अपने पास रखी। IPC की धारा 411 के तहत उन पर मुकदमा चला।
क्या कहती है धारा 411?
जो व्यक्ति चोरी की संपत्ति को यह जानते हुए अपने पास रखे या खरीदे कि वह चोरी की है, उस पर यह धारा लगाई जाती है।
अदालतों का संघर्ष
✅ निचली अदालत:
सोनी को दोषी ठहराते हुए 205 सोने की बार जब्त कर लीं।
✅ हाई कोर्ट:
फैसला कायम रखा, लेकिन कहा कि सोना सरकार के पास जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में मिला न्याय
सोनी हार नहीं माने और सुप्रीम कोर्ट में अपील की। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह सोना सामान्य कारोबारी के तौर पर खरीदा, उन्हें नहीं मालूम था कि यह चोरी का है।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच — न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, प्रशांत मिश्रा और केवी. विश्वनाथन — ने इस मामले में कहा:
“सिर्फ इस आधार पर कि संपत्ति चोरी की है और किसी के पास पाई गई, यह साबित नहीं होता कि उसने जानबूझकर उसे खरीदा। संदेह पर्याप्त नहीं है, ठोस सबूत चाहिए।”
आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 205 गोल्ड बार वापस नंदकुमार सोनी को लौटाई जाएं।
🔑 जौहरी भाइयों के लिए सीख
✔️ ग्राहक का पहचान पत्र लें
✔️ रसीद और बिल बनाएं
✔️ भुगतान सही और दस्तावेज़ी रूप से करें
✔️ CCTV और गवाह रखें
✔️ अगर IPC 411 का आरोप लगे तो घबराएं नहीं, अपने कागजात और अच्छे वकील की मदद लें।
निष्कर्ष
“सोना तो दोबारा खरीदा जा सकता है, लेकिन साख दोबारा पाना मुश्किल है। हर सौदे में सावधानी और हर केस में आत्मविश्वास ज़रूरी है।”
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