
ब्यूरो चीफ हरी राम देवांगन/ परीक्षा बनाम अव्यवस्था की अग्नि परीक्षा….
राजधानी रायपुर से महज़ 30 किलोमीटर दूर बनाए गए परीक्षा केंद्र ने यह साफ़ कर दिया कि प्रशासनिक व्यवस्था और जमीनी हकीकत के बीच कितनी गहरी खाई है। ऑल इंडिया एम्स बीएससी पैरामेडिकल कोर्स जैसी अति-महत्वपूर्ण परीक्षा के लिए जब छात्र-छात्राओं को शहर से बाहर भेजा गया, तो यह न केवल अव्यवस्था का उदाहरण था बल्कि संवेदनहीनता की पराकाष्ठा भी थी।
देश भर में बच्चों के उज्जवल भविष्य और बेहतर सुविधाओं की बड़ी-बड़ी बातें होती हैं। मगर जब अमल करने की बारी आती है, तो स्थिति बिल्कुल विपरीत दिखती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। परीक्षार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की ‘अग्नि परीक्षा’ देने के लिए न सिर्फ़ शहर के बाहर बल्कि इतनी दूर भेजा गया कि कल्पना करना भी मुश्किल है।
रायपुर के घड़ी चौक से लगभग 30 किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतनी महत्वपूर्ण परीक्षा के लिए शहर के भीतर स्थित पहले से मौजूद परीक्षा केंद्रों का उपयोग न कर प्रशासन ने एक दूरस्थ स्थल को चुना। इससे छात्रों की मानसिक शांति, तैयारी और प्रदर्शन—सब पर प्रतिकूल असर पड़ा होगा।
राज्य और केंद्र सरकार का यह नैतिक और प्रशासनिक दायित्व है कि परीक्षाओं के आयोजन में विद्यार्थियों और उनके परिजनों की सुविधाओं का ध्यान रखा जाए। परीक्षा चाहे कितनी भी बड़ी या छोटी क्यों न हो, उसका केंद्र व्यावहारिक और सुलभ स्थान पर ही होना चाहिए। मगर यहां तो लगता है कि इस पर कोई गहन विचार-विमर्श किया ही नहीं गया।
छात्र महीनों की मेहनत के बाद परीक्षा देने पहुंचे और वहां भी रास्ता खोजते-ढूंढते ही उनकी ऊर्जा जाया हो गई। जिम्मेदार अधिकारी तो संभवत: सरकारी सुविधाओं के साथ आराम से परीक्षा केंद्र पहुंच गए होंगे, लेकिन विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को किन कठिन हालात का सामना करना पड़ा, इसकी चिंता शायद किसी ने नहीं की।
आज के डिजिटल युग में, जब सारी व्यवस्थाओं को तकनीक के जरिए आसान बनाने की बात की जाती है, तब भी यदि हम विद्यार्थियों को अव्यवस्था और असुविधा के बीच झोंकते रहेंगे, तो यह न केवल उनके साथ अन्याय है बल्कि देश के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि भविष्य में ऐसे निर्णय लेने से पहले गंभीरता से सोचे और सुनिश्चित करे कि कोई भी छात्र परीक्षा के दिन केवल अपनी तैयारी पर ध्यान दे, न कि परीक्षा केंद्र तक पहुंचने की जद्दोजहद में उलझा रहे।
“विद्यार्थियों की आवाज़”
🟤परीक्षा केंद्र तक पहुंचने में लगा 2 घंटे।
🟤गांवों से आए छात्रों को कोई साधन नहीं मिला।
🟤शहर में ही पर्याप्त केंद्र होने के बावजूद बाहर भेजा गया।
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