
संवाददाता हरिराम देवांगन/ राशन वितरण की तिथि बढ़ी: चाऊर तिहार से फैली अव्यवस्था, अब मिली राहत
जिला उप मुख्यालय चांपा सहित पूरे प्रदेश में इस बार राशन वितरण व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई। इसका मुख्य कारण शासन द्वारा चाऊर तिहार के नाम पर एक साथ तीन माह का राशन वितरित करने का निर्णय बताया जा रहा है। हालांकि शासन ने इसे उपलब्धि के तौर पर प्रचारित किया, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही रही।
इस योजना के तहत जून माह में मई, जून और जुलाई—तीनों महीनों का राशन एक साथ वितरण करने का आदेश जारी किया गया था। परंतु बिना समुचित तैयारी के अचानक आदेश जारी कर देने से वितरण केंद्रों में भारी अव्यवस्था उत्पन्न हो गई। कई हितग्राहियों को घंटों इंतजार करना पड़ा, फिर भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।
वितरण केंद्रों में अव्यवस्था की बड़ी वजहें:
बिना पूर्व सूचना के आदेश जारी: सोसायटी संचालकों और डीलरों के पास पहले से कोई तैयारी नहीं थी।
स्थान और संसाधन की कमी: केंद्रों में भंडारण की पर्याप्त जगह नहीं थी।
भारी बारिश और बिजली संकट: मानसून के चलते लगातार बिजली बाधित होती रही, जिससे मशीनरी प्रभावित हुई।
तीन माह का राशन एक साथ लेने में असमर्थता: हितग्राही भी इतने अधिक चावल को एक बार में ले जाने के लिए तैयार नहीं थे।
एपीएल राशन की अनुपलब्धता: कई सोसाइटी में एपीएल श्रेणी का राशन पहुँचा ही नहीं।
इन कारणों से उपभोक्ताओं और सोसाइटी संचालकों के बीच कई बार विवाद और कहासुनी की स्थिति बनी। कई स्थानों पर स्थिति तनावपूर्ण रही।
अब राहत की उम्मीद:
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शासन द्वारा अब 7 से 8 जुलाई तक राशन वितरण की तिथि बढ़ा दी गई है। इससे उन हितग्राहियों को राहत मिलेगी जो अव्यवस्था के कारण राशन से वंचित रह गए थे। अब वे अपने नजदीकी केंद्रों से निर्धारित समय में अपना राशन प्राप्त कर सकेंगे।
सूत्रों के अनुसार, जून माह में लगभग 40% हितग्राही राशन नहीं ले सके थे। शासन को चाहिए था कि इस योजना की घोषणा कम से कम एक माह पहले करता ताकि समय रहते सभी स्तरों पर तैयारी हो पाती और इस प्रकार की अव्यवस्था से जनता को नहीं गुजरना पड़ता।
चाऊर तिहार की अचानक घोषणा भले ही एक अच्छी पहल मानी गई हो, लेकिन इसके क्रियान्वयन में भारी लापरवाही और प्रशासनिक शिथिलता के चलते इसका उद्देश्य विफल होता नजर आया।