
जिला ब्यूरो हरिराम देवांगन/ बिजली संकट बना स्थाई अभिशाप: ज्ञापन देकर भूल गए विधायक, नगरवासी बेहाल
🔴 मुख्य बिंदु:
🟤विधायक ने दिया था ज्ञापन, लेकिन स्थिति जस की तस!
🟤बिजली समस्या हर मौसम में बनती जा रही है संकट
🟤उपभोक्ताओं के सब्र का बाँध टूटा, मंडल पर उठे सवाल
🟤मेंटेनेंस कार्य के बावजूद लगातार हो रही आपूर्ति बाधित
🟤जनप्रतिनिधि सिर्फ दिखावे की राजनीति तक सीमित
⚡ चांपा की स्थायी समस्या: बिजली संकट
◾जिला उपमुख्यालय चांपा नगर की बिजली समस्या अब स्थायी अभिशाप बन चुकी है।
◾हर मौसम में नगरवासी कभी ट्रिपिंग, कभी लो-वोल्टेज, तो कभी पूरी तरह बिजली कटौती से परेशान हैं।
🧾 विधायक ने दिया था ज्ञापन, फिर भी नहीं बदली हालत:
कुछ माह पूर्व क्षेत्रीय विधायक ने चांपा विद्युत मंडल कार्यालय में दलबल के साथ ज्ञापन सौंपा था, लेकिन वह ज्ञापन केवल एक औपचारिकता बनकर रह गया।
न कोई कार्रवाई, न कोई जवाबदेही।
ऐसे में जनता का यह कहना बिलकुल उचित प्रतीत होता है कि – “नगर कका ज्ञापन देकर भूल गए।”
🌩️ जनप्रतिनिधियों पर उठ रहे सवाल!
नगरवासी खुलेआम कह रहे हैं कि –
> “विकास के नाम पर ढिंढोरा पीटने वाले जनप्रतिनिधि बिजली संकट पर सिर्फ फोटो खिंचवाकर इतिश्री कर लेते हैं।”
📃ज्ञापन देना तो अब लोकप्रियता बढ़ाने का सस्ता जरिया बन चुका है।
◾कोई फॉलोअप, कोई निगरानी, कोई सक्रिय प्रयास नहीं दिखता।
🌧️ गर्मी हो या मानसून – बिजली ने सबको रुलाया!
🔳इस वर्ष की भीषण गर्मी में लगातार बिजली कटौती ने हाल बेहाल किया।
🔳अब मानसून की बरसात के साथ भी बिजली की आंखमिचौली जारी है।
🔳मेंटेनेंस कार्य के नाम पर हर साल लाखों खर्च होने के बावजूद स्थिति बदतर है।
❌ क्या मेंटेनेंस सिर्फ कागज़ों तक सीमित?
नगरवासियों का कहना है –
> “अगर मेंटेनेंस हुआ है तो फिर हर दिन बिजली क्यों गुल हो रही है?”
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या मेंटेनेंस सिर्फ कागज़ों तक सीमित था?
🔦 अंधेरे में डूबता चांपा, उम्मीद की कोई किरण नहीं:
जब भी बारिश होती है, बिजली पहले ही गुल कर दी जाती है।
आपदा प्रबंधन की दृष्टि से भी यह घातक है।
आज हालत यह है कि –
> “बिजली संकट अब बनावटी आपदा बन गया है।”
📣 जनता की मांग:
⏺️विधायक व जनप्रतिनिधि सिर्फ ज्ञापन नहीं, ठोस दबाव बनाएं।
⏺️विद्युत मंडल की जवाबदेही तय हो।
⏺️मंडल स्तर पर स्थाई समाधान की समयसीमा तय हो।
⏺️प्रत्येक कटौती के बाद कारणों की सार्वजनिक जानकारी दी जाए।