
कोर्ट से बरी होने के बावजूद धीरेंद्र जायसवाल अब भी ब्लैक लिस्ट में — न्याय की गुहार लगा रहा एक निर्दोष युवक
रायपुर, छत्तीसगढ़ |
जिला रायपुर के नेवरा मदिरा दुकान में कार्यरत रहे धीरेंद्र कुमार जायसवाल, ग्राम कोहका, तहसील तिल्दा नेवरा, जिला रायपुर निवासी, को कोरोना काल के दौरान जनप्रतिनिधियों के दबाव और आबकारी विभाग के अधिकारी जी.आर. आड़े (ADO) की संलिप्तता में झूठे ओवररेटिंग के आरोप में सेवा से पृथक कर दिया गया था।
धीरेंद्र जायसवाल A2Z प्लेसमेंट कंपनी के माध्यम से सेल्समेन पद पर कार्यरत थे। उन पर 15 मई 2020 को फर्जी केस दर्ज किया गया और न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी और लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद 18 मार्च 2024 को माननीय न्यायालय द्वारा पूर्णतः दोषमुक्त करार दिए गए।
चौंकाने वाली बात यह है कि कोर्ट से बरी होने के एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उन्हें अभी तक ब्लैक लिस्ट से बाहर नहीं किया गया है। धीरेंद्र ने इस संबंध में कई बार आबकारी विभाग, जिला कलेक्टर कार्यालय, और प्लेसमेंट एजेंसी को आवेदन दिया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
धीरेंद्र का कहना है:
“मुझ पर लगाए गए सभी आरोप झूठे थे। मैंने कोई गलती नहीं की थी, फिर भी अधिकारियों ने दबाव में आकर मुझे निलंबित कर ब्लैक लिस्ट कर दिया। अब जब न्यायालय ने मुझे पूरी तरह निर्दोष घोषित कर दिया है, तो फिर मुझे न्याय क्यों नहीं मिल रहा?”
उन्होंने यह भी कहा कि GR आड़े, ADO, द्वारा जनप्रतिनिधियों के दबाव में यह कार्य किया गया, जिससे उनकी छवि, रोजगार और मानसिक स्थिति को गहरी क्षति पहुँची है।

अब धीरेंद्र ने शासन-प्रशासन से अपील की है कि न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुए उन्हें तत्काल ब्लैक लिस्ट से मुक्त किया जाए और सेवा में बहाल किया जाए।
यह प्रकरण एक बार फिर सवाल खड़ा करता है कि —
जब एक नागरिक न्यायालय से दोषमुक्त हो चुका है, तो उसे अब तक न्याय क्यों नहीं मिला? क्या न्यायालय का आदेश प्रशासनिक कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं डालता?
