
जिला ब्यूरो हरिराम देवांगन/ सदा सुहागन का वरदान पाने आज हो रहा बट सावित्री अमावस्या व्रत
पति की दीर्घायु के लिए विशेष पूजा का आयोजन
छत्तीसगढ़। भारतीय सनातन परंपरा में पति की दीर्घायु, सौभाग्य और पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए किए जाने वाले व्रतों में बट सावित्री अमावस्या का विशेष स्थान है। आज जिले सहित आसपास के क्षेत्रों में सुहागिन महिलाओं द्वारा इस पर्व को श्रद्धा और विधिपूर्वक मनाया जा रहा है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, सत्यवान की पत्नी सावित्री ने अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए यमराज से संघर्ष किया था और अपनी पतिव्रता शक्ति से उन्हें जीवनदान दिलवाया। तभी से यह व्रत सदा सुहागन रहने के वरदान का प्रतीक बन गया है। मान्यता है कि इस दिन सावित्री के समान संकल्प लेकर व्रत और पूजा करने से पति की उम्र लंबी होती है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

इस अवसर पर महिलाएं वटवृक्ष की पूजा करती हैं, उसे रोली और धागे से बांधते हुए परिक्रमा करती हैं और व्रत रखकर पूजन-अर्चन करती हैं। बटवृक्ष की विशेषता यह है कि इसकी आयु अन्य वृक्षों की तुलना में बहुत अधिक मानी जाती है, जो दीर्घायु और मजबूती का प्रतीक है।
पूजा के दौरान महिलाएं विविध प्रकार की खाद्य सामग्रियों को प्रसाद के रूप में अर्पित करती हैं और अपने परिवार के कल्याण की कामना करती हैं।
छत्तीसगढ़ में इस पर्व को बरसाईत पूजा के रूप में भी जाना जाता है। यह भी मान्यता है कि इस व्रत के साथ ही वर्षा ऋतु के आगमन का संकेत भी जुड़ा होता है।