
ब्यूरो चीफ हरिराम देवांगन/ स्मार्ट मीटर योजना बनी ‘स्मार्ट भेदभाव’ का जरिया – गरीबों को सिंगल फेस मीटर, रसूखदारों को अभयदान!
जिला उप मुख्यालय चांपा
चांपा। विद्युत मंडल द्वारा स्मार्ट मीटर लगाने की महत्वाकांक्षी योजना अब सवालों के घेरे में है। बीते वर्ष दीपावली से ठीक पहले, बिना किसी मुनादी और जनजागरूकता अभियान के, नगर में पुराने मीटर हटाकर स्मार्ट मीटर लगाने की कार्यवाही धड़ल्ले से की गई थी। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में भेदभाव और अवैध संरक्षण की बू आ रही है।
नगर में चर्चा है कि स्मार्ट मीटर केवल गरीब तबके के उपभोक्ताओं – विशेषकर सिंगल फेस मीटर वालों – के यहां ही लगाए गए, जबकि हाई लोड, ट्रिपल फेस कनेक्शन और भारी बिजली खर्च करने वालों के मीटर आज भी पुराने हैं। हैरत की बात तो यह है कि ऐसे उपभोक्ताओं के मीटर अब भी भवनों और परिसरों के अंदर ही लगे हुए हैं।
सवालों के घेरे में स्मार्ट योजना
स्मार्ट मीटर योजना का उद्देश्य पारदर्शिता और रीयल टाइम बिलिंग था। लेकिन चांपा में यह योजना गरीबों तक सीमित रह गई और रसूखदारों को अघोषित छूट मिलती रही। होटल, धर्मशालाएं, मल्टीप्लेक्स, खदान, उद्योग, और पॉवरफुल उपभोक्ताओं के पुराने मीटर अब भी जस के तस हैं।
नगर में यह भी चर्चा है कि बिजली चोरी के बड़े मामले इन्हीं परिसरों से जुड़े हो सकते हैं, जहां स्मार्ट मीटर आज तक नहीं लगाए गए। कथित रूप से अधिकारियों और रसूखदारों की साठगांठ इस अनियमितता के पीछे बताई जा रही है।
धरातल पर फेल – शासन की योजना
शासन की मंशा थी कि स्मार्ट मीटर के ज़रिए उपभोक्ताओं की निगरानी, रीडिंग और बिलिंग प्रणाली ऑनलाइन की जाए। लेकिन चांपा मंडल में यह योजना वर्षों पीछे चल रही है। एक ओर जहां देश के कई राज्यों में यह कार्य सफलतापूर्वक लागू हो चुका है, वहीं चांपा में योजना ध्वस्त नजर आ रही है।
जनता के मन में उठते सवाल – आखिर माजरा क्या है?
हाई लोड उपभोक्ताओं के मीटर अब तक क्यों नहीं बदले गए?
ऐसे उपभोक्ताओं के मीटर परिसर के बाहर क्यों नहीं लगाए गए?
स्मार्ट मीटर योजना को गरीबों तक ही क्यों सीमित रखा गया?
क्या यह साजिशन बिजली चोरी को संरक्षण देने की कोशिश है?
इन तमाम सवालों के जवाब न तो विद्युत मंडल ने दिए हैं और न ही कोई ठोस कार्रवाई की गई है।
निष्कर्ष
अगर शासन की मंशा पारदर्शिता और जवाबदेही की है तो समान रूप से सभी उपभोक्ताओं – चाहे वह गरीब हो या रसूखदार – के यहां स्मार्ट मीटर लगाने की ज़रूरत है। वरना यह योजना मात्र एक राजनीतिक दिखावा बनकर रह जाएगी।