
संभवत आज आएगा गेट एग्जाम 2025 का रिजल्ट,छात्र एवं अभिभावकों की बड़ी दिल की धड़कनें…
पास आउट छात्रों का संवरेगा भविष्य, या करना होगा पुनः प्रयास…
जिला उप मुख्यालय चांपा- एक नहीं कई सालों तक कठिन परिश्रम के बाद गेट एग्जाम (graduate aptitude test in engineering) देने वाले छात्रों का कल एक बार फिर भविष्य तय होने जा रहा है, जिसे लेकर छात्र सहित अभिभावकों के दिल की धड़कनें बढ़ाने को हो रही होगी,यह सही है कि यह एग्जाम देश के टॉप टेन 10 कठिन एग्जामो के गिनती में शुमार किया जाता रहा है, इस एग्जाम के माध्यम से देश में संचालित 23 आईआईटी संस्थानों में प्रवेश लेकर एमटेक तथा पीएचडी आदि कोर्स में प्रवेश लेकर अपना भविष्य संवारा जा सकता है,जिसे लेकर इस वर्ष आईआईटी रुड़की द्वारा गेट एग्जाम की पूरी जिम्मेदारी अपने सर लेकर 5 फरवरी से 17 फरवरी के मध्य पूरी सफलता के साथ गेट एग्जाम को संचालित किया गया है,इस एग्जाम के लगभग 10 दिनों बाद आईआईटी रुड़की द्वारा करेक्ट आंसर शीट जारी कर देने के बाद लाखों छात्रों के द्वारा अपने आंसर शीट को मिलाकर इस वर्ष के गेट एग्जाम में उनके द्वारा क्या और कितना अच्छा प्रदर्शन किया है इसका अंदाजा लगा लिया गया हो फिर भी काफी संशय की स्थिति बनी रहती है, इसके बाद छात्र से लेकर अभिभावकों को संबंधित आईआईटी संस्थान द्वारा रिजल्ट जारी होने का बेसब्री से इंतजार किया जाता है, और यह समय आज किसी भी क्षण समाप्त होने जा रहा है, जब आईआईटी रुड़की द्वारा एग्जाम का रिजल्ट डिक्लेयर कर दिया जाएगा, जिसे लेकर परीक्षा देने वाले छात्र से अभिभावकों की दिल की धड़कनें निसंदेह बढी हुई होगी,बताते चलें कि देश में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 23 आईआईटी इंजीनियरिंग संस्थान विभिन्न राज्यों में संचालित किया जा रहा है, जिसमें प्रवेश पाना लाखों करोड़ों छात्रों का दिव्य स्वप्न होता है, जिसमें प्रवेश लेने के लिए छात्र एक नहीं अनगिनत वर्षों तक प्रयास दर प्रयास करते रहते हैं, इसके बाद भी बहुत से छात्रों को सफलता नहीं मिलने से वे निराश ना होकर प्रयास करना नहीं छोड़ते, गुरु तालाब है कि देशभर में संचालित हो रहे हैं आईआईटी इंजीनियरिंग संस्थानों में बीटेक एमटेक तथा पीएचडी को मिलाकर कल 100 से भी अधिक ब्रांचों में विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है, जिसके चलते छात्रों में आईआईटी इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश पाना किसी बड़े संघर्ष को चुनौती देने के बराबर कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।