
निर्जीव पुतले का पहचान हो रहा गुम,,, बेपरवाही का नतीजा चांपा कोसा कांसा कंचन की नगरी का पहचान हो रहा धूमिल
कहां गए नगर विकास का कहलाने वाले ब्रांड एंबेसडर?
जिला उप मुख्यालय चांपा,,, हमर गांव, हमर शहर,हमर नगर का एलईडी लाइटनिंग बोर्ड लगाने से कुछ नहीं होता,नगर शहर ऐतिहासिक हो या गैर ऐतिहासिक हर स्थान की अपनी एक खास पहचान होती है,और ऐसा ही एक खास पहचान कोसा,कासा,कंचन,की नगरी चांपा का भी अरसे से बना हुआ है, जिसे दर्शाने (अभिव्यक्त) के लिए चांपा थाना के पास पुतला नुमा (स्टेचू )का निर्माण कई साल पहले किया गया था तब यह पुतला निर्जीव होते हुए भी संजीव जैसे प्रतीत होता था,लेकिन जिम्मेदारों की गैर लापरवाही के चलते यह पहचान रूपी स्टैचू निर्जीव होकर आज अपना पहचान खोने के कगार में पहुंच चुका है,बताते चलें कि कुछ साल पहले चांपा नगर के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाने के लिए सोनारी तथा बुनकारी करते हुए कुछ स्टैचू पुतले का निर्माण किया गया था जिसे देखकर सरे राह चलने वाला कोई ही बंदा इसका यथार्थ सहित गहराई को बड़ी ही आसानी से समझ सकता था,क्योंकि पुतले का निर्माण इस मूल उद्देश्य के साथ बनाया गया था जिसे देखने पर ऐसा लगता था मानो वह सोने चांदी का कोई आभूषण गढ़ रहा हो या फिर एक पुतला ऐसा प्रतीत होता था मानो वह कोसा कपड़ा का निर्माण कर रहा हो, पर निर्जीव पुतले का दुर्भाग्य है कि समुचित रखरखाव सहित देखभाल के अभाव में यह पुतला आज अपनी मौत कि कहानी स्वयं कह रहा है, इसी स्टैचू पुतले के सामने कई बार नगर विकास की यात्रा को साकार किया गया है,नालियां बनी सड़के बनी पर नगर की पहचान को चरितार्थ करने वाला इस पुतले के साथ सही मायने में प्रशासनिक तौर पर सौतेला व्यवहार किए जाने के कारणों का यह ज्वलंत उदाहरण बन चुका है।

गौरतलब है कि कुछ साल पहले यह पुतला साफ सुथरा और जीवंत नजर आता था इसके चारों तरफ हरियाली बिखरा हुआ देखा जाता था, लेकिन आज यहां पर छाई हुई अनुपम छटा वाली हरियाली कपूर की भांति विभागीय लापरवाही की आंधी में उड़ चुका है,बात यहीं पर खत्म नहीं होती है यह सब कुछ होता हुआ देखकर नगर के जिम्मेदार, नगर विकास के नाम पर ब्रांड एंबेसडर कहलाने वाले कथित लोगों की कार्य शैली पर यह पुतला स्वयं एक नहीं अनेकों प्रश्न खड़ा कर रहा है, जाहिर सी बात है नगर का विकास लगभग 27 पार्षदों के कंधों पर टिका हुआ है, नगर विकास के नाम पर बढ़-चढ़कर ढिंढोरा पीटे जाने कि परंपरा का निर्वहन करते हुए मिल जाते हैं वहीं इनमें से किसी भी एक के द्वारा इस निर्जीव पुतले पर रहम करते हुए झांकना भी गवारा नहीं किया गया है,परिणाम सबके सामने हैं,नगर विकास करने का अमली जामा ओढ़ने वाले लोगों ने नगर के महत्व को बताते हुए 12 महीने प्रतिकूल मौसम को झेल रहे इस निर्जीव पुतले को देखने और समझने वाला भागीरथी न जाने कब इस ओर मेहरबान होंगे,फिर हाल यह पुतला कब तक ऐसे ही अपने जिर्णोद्धार कि बांट जोहता रहेगा यह तो आने वाला समय ही भली भांति बता सकेगा, बहरहाल इस पुतले का जो हाले दिल सरे राह दिखाई दे रहा है उसे लेकर यह संवाददाता जरूर पहले और अब के नगर सरकार पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता रहेगा,यहां पर यह भी प्रश्न उठ रहा है क्या नया नगर सरकार गठित होने के उपरांत इस बे जान हो चुके पुतले को संजीव करने का प्रयास किया जाता है या नहीं यह देखने वाली बात होगी,,,।
,,,,,,नगर विकास के नाम पर खड़े श्वेत दीवारों पर कितने अव्यवस्था के दागदार काले धब्बे हैं,इस पर आगे भी बने रहिए बेबाक खबरों के संवाददाता के साथ,,,,।











