
जहां लिखा है वहीं पर गंदगी का भरमार, किसके नाक का है सवाल, वाह रे तो आदेश
संवाददाता हरीराम देवांगन
प्राकृतिक जल स्रोत कि इतनी दुर्दशा
जिला उप मुख्यालय चांपा- वर्तमान शासन के पहले प्रदेश सरकार के द्वारा एक स्लोगन जारी किया गया था छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, जिसमें नरवा तालाब का भी उल्लेख मिलता है, उस समय से लेकर आज तलक शासन प्रशासन के कथनी और करनी में कितना अंतर है इसका सहज भाव से अंदाजा लगाया जा सकता है,चांपा नगर के हृदय स्थल थाना चौक के पास ऐतिहासिक लक्षी बन्ध तालाब के रूप में इस तालाब का पहचान बना हुआ है,यह तालाब तमाम किस्म के अव्यवस्था से जूझ रहा है जहां इस महत्वपूर्ण तालाब का कई सालों से साफ सफाई नहीं हुआ है वहीं दूसरी तरफ इस तालाब को गंदगी से बचने के लिए पालिका प्रशासन के द्वारा आदेश लिखवाया गया है कि इस तालाब में गंदगी, कचरा फेंकोगे तो जुर्माना भरोगे

पर इस फरमान का क्या दुर्दशा हो रहा है इस का पाठक स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं,जहां पर यह आदेश लिखा हुआ है ठीक उसके नीचे इस कदर तालाब में गंदगी फैला हुआ है कि कोई इंसान मुंह धोना तो दूर हाथ धोना भी पसंद नहीं करेगा,एक तरफ तालाब में अपार गंदगी फेका जा रहा है,वहीं दूसरी तरफ जिस तरह से जंगली घास फूस ( तालाब में जलकुंभी नहीं है बल्कि और ही कुछ है) फैला हुआ है जिसके चलते हाथ धोने के लिए भी चुल्लू भर पानी नजर नहीं आ रहा है,ऐसी स्थिति में पानी किस कदर स्वच्छ और साफ होगा यह कहने वाली बात नहीं है, यह तालाब नगर के हृदय स्थल पर अवस्थित है जहां प्रतिदिन महिला व पुरुषों परिजनों के साथ सैकड़ो कि संख्या में निस्तार के लिए पहुंचते हैं इसके बाद भी पालिका प्रशासन के द्वारा जिस तरह से आम जनता के जरूरत के जल स्रोत को भारी अब व्यवस्था के बीच छोड़ दिया गया है।

उसका यहां पर कोई उदाहरण मिलना दुर्लभ है, यहां बताते चले इस तालाब के घाट में हिंदू आस्था का केंद्र बिंदु के रूप में शिवालय सहु एक नहीं कई अन्य मंदिर निर्मित है,जहां प्रतिदिन सुबह-शाम प्रार्थना एवं पूजा पाठ का दौर चलता है, यह तालाब हर वर्ष भीषण गर्मी में जब सूख जाता है तो ऐसी स्थिति में नियमानुसार तालाब का सफाई सहित सौंदरीकरण करने का प्रावधान सदियों पुराना है लेकिन चांपा पालिका प्रशासन के जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए लोगों की गुस्ताखी के चलते तालाब का सौंदरीकरण तो बहुत दूर है पिछले 10 सालों से सफाई तक नहीं किया गया है, उसी का परिणाम स्वरुप यहां जो गंदगी देखने को मिल रहा है यह उसका पर्याय बन चुका है,यहां आने वाले लोगों के द्वारा गंदगी ना फैलाया जाए इस गरज से लोगों को चमकाने मात्र के लिए इस तरह का आदेश को लिखवा कर जिस तरह से समूची अव्यवस्था को नजर अंदाज किया जा रहा है उससे लोगों के द्वारा गंदगी को पुनः उसी स्थान पर फेंकना कोई नई बात नहीं है,

सचमुच यदि किसी के द्वारा गंदगी फेंकते समय जुर्माना लगाया गया होता तो आज यहां आकर गंदगी फैलाने अथवा फेंकने वालों को एक नहीं सौ बार सोचना पड़ता,वैसे तो यहां पर लिखित आदेश के अनुसार कैमरा भी लगाया गया है लेकिन इस कैमरा का क्या और कितना उपयोग किया जा रहा है यहां पर फैली हुई को देखकर अंदाज़ हो रहा है,एक पुरानी कहावत है, गई भैंस पानी में, फिलहाल यहां पर यही चरितार्थ हो रहा है,
नई नगर सरकार के गठन पर देखना होगा क्या होता है कार्यवाही, यह एक तरह से सुखद एहसास है कि बहुत जल्द पालिका प्रशासन में नई सरकार की स्थापना होने जा रहा है, ऐसी स्थिति में नगर सरकार के द्वारा इस तालाब के कायाकल्प के लिए क्या और कितना कदम उठाया जाता है यह देखना बाकी है।
