
तिल्दा नेवरा- स्कुल बस और मोटर सायकल में आमने सामने टक्कर, दोनों बाइक सवार की मौत! स्कूल संचालक सवालों के घेरे में, और पहले भी हो चुकी है दुर्घटना
तिल्दा नेवरा में खरोरा तिल्दा मार्ग पर सुबह गिड़लानी पेट्रोल पंप के पास जेबी स्कूल की बस बच्चो को स्कूल छोड़कर वापस आ रही थी की, अचानक मोटर सायकल से जबरदस्त भिड़ंत हो गए मोटर सायकल में दो लोग सवार थे, तत्काल पुलिस द्वारा घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया। बता दें की डाक्टरों ने ईश्वर साहू ग्राम खपरी कला निवासी को मृत घोसित कर दिया वही दूसरे घायल विजय कुमार साहू बिरगांव निवासी को मेकाहारा भेजा गया था जहा देर रात इलाज के दौरान उसकी भी मृत्यु हो गई।
अभिभावक अपने बच्चों को स्कूली बस में छोड़ने के बाद निश्चिंत हो जाते हैं कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं। लेकिन क्या कभी उन्होंने सोचा कि जिस बस में उनके नौनिहाल हर रोज सफर कर रहे हैं वह सुरक्षित भी है या नहीं। स्कूल वाहनों के हादसों का शिकार होने के मामले बीते कुछ वर्षों में काफी बढ़ गए हैं। जब ऐसे दुखद हादसे होते हैं, तो उसके बाद अकसर नियमों की दुहाई दी जाती है और चर्चाएं होती है कि अगर समय रहते नियमों का पालन किया गया होता तो ऐसा न होता। लेकिन सड़कों पर सुबह और शाम के समय सरपट दौड़ते स्कूल वाहनों की निगरानी करने वाला कोई नजर नहीं आता। दुखद हादसों के बाद अधिकारी कुछ दिन चालान पर जोर देते हैं और फिर पुरानी स्थिति लौट आती है। ऐसी ही स्थिति तिल्दा नेवरा में नजर आती है।
जानकारी के अनुसार शहर से सटे बड़े निजी स्कूलों के वाहनों में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। खरोरा सड़क मार्ग पर स्थित क्षेत्र के प्रसिद्ध स्कूल के वाहन में विद्यार्थी अपनी मर्जी से कहीं भी बैठ रहे हैं। बस में विद्यार्थी ठूस-ठूस कर भरे जा रहे हैं। स्कूल बस के ड्राइवर भी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ड्राइव करते हैं, यह भी कहा जा सकता है कि ड्राइवर अपने आप को स्कूल संचालक समझते है।
निजी स्कूलों के निरीक्षण को लेकर जल्द अभियान चलाया जाना चाहिए । प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के नाबालिक छात्र छात्राये बिना रोक टोक के बेधड़क बाइक और कारों से स्कूल जा रहे है जब कोई बड़ा हादसा हो जाता है तब विभागों का ध्यान जाता है।
आपको बता दे की जिस स्कूल की बस से यह गभीर हादसा हुआ है जिसमे दो लोगो की जान चली गई वह स्कूल हमेसा से विवादों में रहा है।
शिक्षा विभाग के आला अधिकारियो को भी निजी और सरकारी स्कूलों पर सतत निगरानी बनाये रखना चाहिए और कड़े नियम बनाने चाहिए ताकि भविष्य में कोई बड़ी दुर्घटना ना घटे, चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस, बसों के कागजात, बस के अंदर लगे अग्निशमन यंत्र और फर्स्टएड बाक्स आदि है भी की नहीं जाँच नहीं होती है। सीट और मानक से ज्यादा संख्या में बच्चों को बैठाने और तेज रफ्तार से चलाना दंडनीय अपराध है, पर स्कूल बसों को देखने वाला कोई नहीं है बस के मालिकों द्वारा मनमाना फ़ीस वसूली किया जाता है और सुविधा शून्य है जाँच नहीं होने के कारण स्कूल प्रशासन बेखौफ मन मर्जी चला रहे है।
बता दें कि स्कूल बस में यदि सुरक्षा से संबंधी आवश्यक नियमों का यदि उल्लंघन किया जा रहा है, तो स्कूल प्रशासन से अभिभावक शिकायत कर सकते हैं। यदि स्कूल प्रशासन भी शिकायत के बाद गाइडलाइन का अनुसरण नहीं कर रहा है तो जिला परिवहन विभाग या यातायात पुलिस और जिला प्रशासन को भी शिकायत की जा सकती है।