सबसे ज्यादा शराब पीने वाले 10 राज्यों में छत्तीसगढ़ टॉप टेन में, प्रदेश के उन्नति में मदिरा की सर्वत्र उपलब्धता बड़ी बाधा…
अवरुद्ध राज्य विकास पर विश्लेषणात्मक खास रिपोर्ट….
छत्तीसगढ़- 1 नवंबर सन 2000 वह विशेष तारीख है जब बड़े अरमानों के साथ नए प्रदेश की स्थापना करते हुए इसे छत्तीसगढ़ राज्य की संज्ञा प्रदान की गई है,गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की स्थापना को लगभग 24 साल पूरा हो चुका है,परंतु समानांतर नवउदित राज्यों की तुलना में प्रदेश का विकास कई कारणों के चलते अवरुद्ध हुआ है हम यहां पर अपने लोकप्रिय चैनल के माध्यम से उन् तथ्यों को संज्ञान में लाने का प्रयास मात्र कर रहे हैं जिसके चलते छत्तीसगढ़ समक्ष राज्यों की तुलना में हमारा प्रदेश आज उतना विकास नहीं कर पाया है जितना की अन्य राज्य आज विकसित होने का दावा कर रहे हैं,यदि ऐसा है तो हमारे नजर में राज्य की विकास को अवरुद्ध करने वाले कारकों में शराब खोरी, अशिक्षा,भ्रष्टाचार का बोलबाला, नियंत्रित जनसंख्या, राजनीतिक विरोधाभास,नक्सलवाद, श्रम शक्ति का पलायन, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों का प्रदेश से विमुख होना,आदि महत्वपूर्ण हकीकतो को केंद्र में रखकर जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, फिर हाल हम यहां पर, शराब खोरी के मुद्दे को लेकर कुछ बातों का उल्लेख कर रहे हैं।
विभिन्न सोशल मीडिया एवं कई अन्य प्लेटफार्म से प्राप्त जानकारी के अनुसार देश के टॉप टेन मदीरा प्रेमी राज्यों में छत्तीसगढ़ को प्रथम स्थान के रूप में गिना जाता है,बताते चले कि प्रदेश की जनसंख्या लगभग 3 करोड़ के पार होने जा रही है,और यहां पर एक अनुमान के अनुसार 26,,,,30 प्रतिशत से अधिक आबादी शराब पीने के आदि हैं, इनमें से 15% लोग रात और दिन नशे में डूबे रहते हैं और, 20% से भी अधिक लोग शाम होते ही मदिरा पीने के लिए व्याकुल होकर सारे काम कार्य और जिम्मेदारियां को तिलांजलि देकर नशे की ओर खिंचे चले जाते है,यही नहीं वे अपने प्राप्त आय के अधिकांश हिस्से को शराब खोरी के अग्नि में प्रतिदिन झोक देते हैं।
जहां एक तरफ प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय न्यूनतम स्तर पर चल रहा है,वहीं खून पसीने की कमाई को शराब पीने में जनता के द्वारा उड़ाया जाता रहा तो घर परिवार से लेकर राज्य का विकास तो प्रभावित होगा ही, शराब के चलते शारीरिक नुकसान को लेकर स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता अभियान तथा कई स्वयं सेवी संगठनों के द्वारा अनेकों प्रकार के नुक्कड़ नाटकों एवं विभिन्न आयोजनों के द्वारा जागरूकता अभियान चलाकर शराब सेवन को हतोत्साहित करने में सफलता नहीं मिल सकी है,शराबियों के द्वारा जागरूकता अभियानों को लेकर हंसी मजाक उड़ाया जाता है।
सारे दुष्परिणामों को ताक में रखकर प्रदेशवासियों के मदिरा प्रेम को आज तक कोई नियंत्रण नहीं हो पाया है, मदिरा प्रेमियों का मासिक रिकॉर्ड दिन प्रतिदिन बढ़ता हुआ ग्राफ लगातार नजर आएगा बल्कि आम लोगों के द्वारा शराब सेवन का जो रफ्तार है वह दिन दुगनी है, हैरत की बात तो यह भी है कि प्रदेश के कुछ जिले तो ऐसे हैं जहां पुरुषों के साथ महिलाओं के द्वारा भी छक्क कर शराब की सेवन किया जाता है,बल्कि कई त्यौहार तो ऐसे हैं जब मदिरा प्रेमियों के द्वारा लंबी चौड़ी लाइन लगाकर सरकारी शराब के ठेकों पर लाइन लगाया जाता है,वह किसी मेला से काम नहीं होता, कई सर्वे रिपोर्ट के अनुसार जहां प्रदेश में सरकारी ठेकों पर शराब की उपलब्धता नहीं है वहां ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ सहित अन्य पदार्थों से हाथ निर्मित शराब पीने का एक अलग ही मजा लोगों के द्वारा लिया जा रहा है,जहां मासूम बच्चों तक को शराब निर्माण में लगाकर उन्हें भी परंपरा के रूप में जिम्मेदारियां सौंपी जाती है और शराब बांटा जाता है, ऐसी स्थिति में जाने अनजाने मासूम भी शराब के आदि बचपन में ही हो जाते हैं,और यही शराब को जमकर पसंद करते हैं, ऐसी स्थिति में जहां श्रम शक्ति नशा में डूब कर मदहोश होने को आतुर हो तो हम प्रदेश के विकास को कैसे चरितार्थ कर पाएंगे, यूं तो अनेकों बार चुनाव के पहले घोषणा पत्रों में जमकर शराब बंदी को लेकर वकालत किया जाता है, लेकिन सरकार बनाने के बाद घोषणा करने वालो के द्वारा बात को नजर अंदाज कर जिस तरह से इस समस्या को हल्के में लिया जाता है उसी का नतीजा आज साफ दिखाई पड़ रहा है कि जहां एक ओर सरकारी ठेकों के तहत गली मोहल्लो में शराब की सर्वत्र उपलब्धता है, तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के कोनो कोनो में महुआ शराब की लोकप्रियता आज किसी से छुपी हुई नहीं है,(चैनल इस बात का दावा नहीं करता कि प्रदेश का विकास शराबबंदी नहीं होने के कारणों से अवरुद्ध हो रहा है) यह बात तो हर जागरूक नागरिक स्वीकार कर सकता है कि प्रदेश सहित जनता के विकास को शराब की सर्वत्र उपलब्धता और सेवन चहुं मुखी उन्नति को प्रभावित कर रहा है, यदि इसी तरह से प्रदेशवासियों के द्वारा मदिरा प्रेम का प्रदर्शन किया जाता रहा तो फिर प्रदेश का विकास आखिरकार कैसे साकार हो पाएगा।