
संवाददाता धीरेंद्र कुमार जायसवाल/तिल्दा-नेवरा में सट्टे का साम्राज्य और पत्रकारों की ढाल!
ओवरब्रिज के नीचे जमता है सट्टे का अड्डा — प्रशासन अब भी मौन…
तिल्दा-नेवरा।
जय जोहार सीजी न्यूज़ की कल की खबर के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। जनता ने उम्मीद जताई थी कि अब प्रशासन जागेगा, लेकिन आज दूसरे दिन भी सन्नाटा छाया हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक, चिन्हित जगह — ओवरब्रिज के नीचे — सट्टे का खेल अब भी खुलेआम जारी है।
दिन में 12 बजते ही वहाँ पर भीड़ जुटने लगती है, और कुछ प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में दिन रात सट्टे की गिनती चलती रहती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि खबर प्रकाशित होने के बाद भी अगर प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है, तो इसका मतलब साफ है — कहीं न कहीं कोई बड़ी ताकत इस अवैध धंधे को बचा रही है।
जनता अब यह सवाल कर रही है कि आखिर कानून के रखवाले खामोश क्यों हैं?
क्या वाकई कुछ बड़े नाम इस कारोबार के पीछे हैं?
या फिर यह सब किसी की “मर्जी” से चल रहा है?
सूत्र बताते हैं कि कुछ कथित पत्रकार इस नेटवर्क के लिए “ढाल” बनकर काम कर रहे हैं — कोई खबर को दबा देता है, तो कोई पुलिस की आंखों पर पर्दा डालने का काम करता है।
अब जनता की निगाहें शासन-प्रशासन पर टिकी हैं।
क्या कार्रवाई होगी?
या फिर तिल्दा-नेवरा का यह ओवरब्रिज सट्टेबाज़ों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना रहेगा?
क्योंकि जब पत्रकारिता का धर्म बिक जाए, तो सच्चाई की आवाज़ अक्सर दबा दी जाती है…
और आज तिल्दा-नेवरा की गलियाँ यही फुसफुसा रही हैं — “ओवरब्रिज के नीचे सन्नाटा नहीं, सट्टे का शोर गूंज रहा है…”
अब देखना यह होगा कि इस खुलासे के बाद प्रशासन की नींद टूटती है या नहीं या फिर तिल्दा-नेवरा में अपराध और सन्नाटा दोनों एक साथ पलते रहेंगे…










