
संवाददाता धीरेंद्र कुमार जायसवाल/#सचकायोद्धा
#दोगलोंकीबस्ती #सचकीआवाज#कलमकीताकत
#इंकलाबजिंदाबाद
😈 दोगलों की बस्ती में,
जहाँ चेहरे दो होते हैं,
🌞 दिन में भक्त,
🌃 रात में दलाल होते हैं।
🛍️ जहाँ झूठ की दुकानें सजती हैं,
🥁 सच बोलने वालों पर लाठियाँ बरसती हैं।
वहाँ खड़ा है—
🕊️ निडर, बेखौफ, अकेला,
⚔️ एक योद्धा…
जिसके पास तलवार नहीं,
🖊️ कलम की धार है।
जिसकी जुबां तलवार से पैनी है,
👁️🗨️ जिसकी आँखों में इंकलाब का सवेरा है। 🌅
🏰 सत्ता के महलों में जब दावतें चलती हैं,
तो 🍽️ भूखे पेट सड़कों पर रोते हैं।
📰 जब अखबार बिक जाते हैं चंद सिक्कों में,
🔥 तो सच का योद्धा आग लिखता है अपने शब्दों में।
💣 वो हर सवाल को बम बना देता है,
⚡ हर खबर को तलवार बना देता है।
🤬 दोगलों की बस्ती उसे गालियाँ देती है,
😡 धमकियाँ देती है,
💰 कभी सोने का लालच,
⚰️ तो कभी मौत का कर्ज़।
मगर उसकी नसों में खून नहीं,
💥 बारूद बहता है।
उसके सीने में डर नहीं,
🌋 लावा उबलता है।
वो जानता है—
⚖️ सच बोलना गुनाह है यहाँ,
और 🏆 झूठ बेचना इनाम।
वो जानता है—
👏 भीड़ ताली मारेगी धोखेबाज़ को,
🪨 पर पत्थर उठाएगी सच्चे आवाज़ पर।
फिर भी वो खड़ा है,
🚩 क्योंकि वो योद्धा है।
उसकी हुंकार है—
📢 “झूठ चाहे जितना बड़ा हो,
सच के आगे छोटा होगा।
दोगले चाहे जितने हों,
एक सच्चा ही इतिहास रचेगा।”
🔥 दोगलों की बस्ती में सच का योद्धा,
कोई साधारण इंसान नहीं,
⚡ बल्कि जिंदा इंकलाब है।
✍️ उसकी कलम से डरती है सत्ता,
🏛️ उसकी आवाज़ से कांपते हैं दरबार,
🙇 उसकी निडरता से शर्माते हैं चापलूस।
वो अकेला है,
पर वो ही बहुत है।
क्योंकि दोगलों की बस्ती में,
💣 एक सच का योद्धा
पूरी बगावत के बराबर होता है।