
✍️ ब्यूरो चीफ़ – हरि देवांगन/🚨 #NailaBaloda_Andolan : मौत के रास्ते पर जनाक्रोश चरम पर ❗
🚨 जनप्रतिनिधियों ने दी राहगीरों को पाषाण युग मार्ग की सौगात ❗
अब नैला–बलौदा मार्ग पर जनाक्रोश चरम पर, 20 सितंबर के बाद कभी भी भड़क सकता है ऐतिहासिक आंदोलन।
📍 जिला मुख्यालय जांजगीर-चांपा।
नैला–बलौदा मार्ग अब मौत का रास्ता बन चुका है। इस खतरनाक और जर्जर सड़क पर दौड़ते ओवरलोड ट्रेलर और भारी वाहन ग्रामीणों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। हालात इतने भयावह हो गए हैं कि लोगों का धैर्य अब जवाब देने लगा है।
✒️ ग्रामीणों का आक्रोश:
ग्राम सिवनी नैला समेत आसपास के गाँवों के लोग वर्षों से इस समस्या को उठा रहे हैं।
🟤ज्ञापन सौंपे गए!
🟤चेतावनी दी गई!
🟤चक्काजाम का आवेदन भी दिया गया!
🟤लेकिन अधिकारियों के सिर्फ़ आश्वासन पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
✒️ उप सरपंच का बयान:
ग्राम सिवनी नैला के उप सरपंच शुभांशु मिश्रा का कहना है:
“हजारों की संख्या में ग्रामीण आंदोलन के लिए तैयार हैं। यदि इस बार आंदोलन उग्र हुआ तो इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। प्रशासन ट्रेलर संचालकों के दबाव में दिन में नो-एंट्री लगाने से डर रहा है।”
✒️ हादसों से नहीं सीखा प्रशासन:
इस मार्ग पर अब तक कई जानें जा चुकी हैं। असंख्य परिवार हादसों से प्रभावित हुए, लेकिन शासन-प्रशासन हर बार कागज़ी कार्रवाई कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देता है।
✒️ आंदोलन की उलटी गिनती ग्रामीणों ने साफ़ कहा है—
👉 20 सितंबर के बाद कभी भी ऐतिहासिक आंदोलन का बिगुल फूंका जा सकता है।
👉 हज़ारों ग्रामीण सड़कों पर उतरेंगे।
👉 हालात बेकाबू हुए तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
✒️ मौनी बाबा बने जनप्रतिनिधि:
ग्रामीणों का आरोप है कि उनके क्षेत्र के जनप्रतिनिधि पूरी तरह से चुप्पी साधे बैठे हैं। न कोई बयान, न कोई पहल।
अब सवाल उठता है—
❓ क्या जनप्रतिनिधि ट्रेलर संचालकों से मिले हुए हैं?
❓ जनता की जान की कीमत इतनी सस्ती क्यों?
❓ जब चुने हुए प्रतिनिधि ही मौन हो जाएं, तो जनता का भरोसा किस पर रहेगा?