
संवाददाता धीरेंद्र कुमार जायसवाल/ बस्तर में फैल रहा है विकास का उजियारा, नक्सलवाद की अंतिम सांसें
रायपुर।
छत्तीसगढ़ का बस्तर अंचल, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, घने जंगलों और जनजातीय विविधता के लिए प्रसिद्ध है, अब दशकों पुरानी नक्सल समस्या से मुक्त होने की ओर अग्रसर है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने मार्च 2026 तक बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। इसके लिए सटीक रणनीति के तहत एक ओर जहां नक्सल उन्मूलन की निर्णायक लड़ाई जारी है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक–आर्थिक विकास के कार्य भी तेज़ी से हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “लाल आतंक के खात्मे के लिए हमारी निर्णायक लड़ाई जोर-शोर से जारी है। नक्सलियों की कमर अब टूट चुकी है और जब तक हिंसा का अंत नहीं हो जाता, हम चुप नहीं बैठेंगे।”

बीते वर्ष 22 जून को छत्तीसगढ़ दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी नक्सलियों को चेताते हुए कहा कि अब वे इस बरसात में भी चैन की नींद नहीं सो पाएंगे। सुरक्षाबलों की कार्रवाई लगातार जारी रहेगी।
सुरक्षाबलों की ऐतिहासिक सफलताएं
पिछले डेढ़ साल में सुरक्षाबलों ने अदम्य साहस दिखाते हुए 438 नक्सलियों को मार गिराया, 1515 को गिरफ्तार किया और 1476 को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया।
विशेष रूप से, 21 मई 2025 को अबूझमाड़ के जंगल में माओवादी सरगना बसव राजू के मारे जाने के साथ 26 नक्सलियों का सफाया हुआ। बसव राजू पर सवा तीन करोड़ का इनाम था। यह पहली बार था जब माओवादियों के जनरल सेक्रेटरी रैंक के नेता को ढेर किया गया।
इसी तरह, 5 जून 2025 को शीर्ष ईनामी नक्सली लक्ष्मी नरसिम्हा चालम उर्फ सुधाकर को नेशनल पार्क क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने मार गिराया।
विकास की नई राह
सरकार ने “नियद नेल्ला नार” (आपका अच्छा गांव) योजना शुरू की है, जिसके तहत नक्सल प्रभावित इलाकों में बने नए सुरक्षा कैम्पों के 5 किलोमीटर के दायरे में 17 विभागों की 59 योजनाओं और 28 सामुदायिक सुविधाओं को गांवों तक पहुंचाया जा रहा है। इसमें आवास, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, पुल-पुलिया और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं।
इसके अलावा माओवादी प्रभावित जिलों के विद्यार्थियों को तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के लिए ब्याज रहित ऋण भी दिया जा रहा है।
आशा की किरण: पूवर्ती गांव
सुकमा का पूवर्ती गांव, जो कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था और जहां से बड़े हमलों की साजिशें रची जाती थीं, अब तेजी से विकास की राह पर है। यहां सुरक्षा कैम्प खुलने के बाद से मूलभूत सुविधाएं पहुंचनी शुरू हो गई हैं और ग्रामीणों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं।
बस्तर में लौट रही शांति
बस्तर ओलंपिक और बस्तर पंडुम जैसे आयोजनों में जनभागीदारी इस बात का प्रमाण है कि यहां शांति लौट रही है। अब न केवल ढोल और मांदर की थाप सुनाई दे रही है, बल्कि विकास के नए अवसर भी जन्म ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सुरक्षाबलों के जवानों का साहस और बलिदान पूरे देश के लिए संदेश है कि नक्सलवाद की बेड़ियों को तोड़ा जा सकता है। आने वाले समय में बस्तर न केवल नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त होगा, बल्कि समृद्धि और खुशहाली की मिसाल भी बनेगा।
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