
संवाददाता धीरेंद्र कुमार जायसवाल/ छत्तीसगढ़ में कलम नहीं, अब हथियार उठाने की नौबत! बिलासपुर में पत्रकार और पिता पर जानलेवा हमला – क्या सच कहना गुनाह है?
बिलासपुर | छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता अब जानलेवा साबित हो रही है। बीती रात बिलासपुर में वरिष्ठ फोटोजर्नलिस्ट शेखर गुप्ता और उनके पिता पर लोहे की रॉड और डंडों से हमला हुआ। नशे में धुत गुंडों ने सिर्फ दो लोगों को नहीं, बल्कि सच, संविधान और कैमरे को लहूलुहान किया।
हमला महज़ हिंसा नहीं, यह सीधा संदेश है – “चुप रहो, वरना अगला नंबर तुम्हारा।”
बिलासपुर प्रेस क्लब का अल्टीमेटम:
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को चेतावनी – अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो पत्रकार सड़कों पर उतरेंगे। मांग है कि हमलावरों पर FIR के साथ-साथ गुंडा एक्ट, साजिश और हत्या के प्रयास की धाराएं लगाई जाएं।
पत्रकारों की सुरक्षा अब मांग नहीं, ऐलान है!
हर थाना क्षेत्र में पत्रकारों की सूची दर्ज हो!
आपात हालात में संवाद के लिए पत्रकार-पुलिस व्हाट्सएप ग्रुप!
अपराधियों पर सख्त कार्रवाई, वरना उग्र आंदोलन
चुप रहना अब अपराध है:
क्या अब पत्रकार अपनी पहचान छुपाकर काम करेंगे? क्या सत्ता और प्रशासन के संरक्षण में अपराधी बेखौफ हैं?
यह हमला सिर्फ एक पत्रकार पर नहीं, लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है।
अब सवाल नहीं, लड़ाई का वक्त है। आज नहीं उठे तो कल कोई नहीं बचेगा।