
संवाददाता धीरेंद्र कुमार जायसवाल/ “टेक्निकल इशू” या सुनियोजित लूट?
लाइफलाइन अस्पताल पर आयुष्मान योजना के तहत लाखों की वसूली का आरोप
अंबिकापुर (सरगुजा)।
सरगुजा जिले में आयुष्मान भारत योजना की गंभीर अनदेखी और दुरुपयोग का मामला सामने आया है। अंबिकापुर स्थित लाइफलाइन अस्पताल पर आरोप है कि आयुष्मान कार्डधारी महिला मरीज से इलाज के नाम पर लाखों रुपये नकद वसूले गए, जबकि अस्पताल ने योजना के तहत क्लेम भी लिया।
घटना का विवरण:
ग्राम रामनगर, थाना बिश्रामपुर (सूरजपुर) निवासी राजकुमारी देवी को 11 फरवरी 2025 की रात सीने में दर्द के बाद जिला अस्पताल सूरजपुर से अंबिकापुर रेफर किया गया। परिजनों ने रात 9–10 बजे के बीच उन्हें लाइफलाइन अस्पताल में भर्ती कराया।
मरीज के पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड मौजूद था (मेंबर ID: PO62V1T6G)। RTI जानकारी के अनुसार, अस्पताल ने इस कार्ड पर 12 से 17 फरवरी तक ₹50,000 और 17 से 20 फरवरी तक ₹72,200 के क्लेम किए – कुल ₹1,22,200 की स्वीकृति मिली।
फिर भी 1.60 लाख से अधिक की वसूली:
12 फरवरी की रात अस्पताल ने ₹40,000 नकद लेकर “MIREL” इंजेक्शन लगाया। इलाज के दौरान दवाइयों व जांचों के नाम पर ₹1,60,330 की अतिरिक्त नकद राशि ली गई। खास बात यह कि सर्जरी 16 फरवरी को की गई, जबकि योजना के अंतर्गत स्वीकृति 17 फरवरी से दर्शाई गई।

बयानों में विरोधाभास:
डॉ. सूर्यवंशी ने सर्जरी को सफल बताया, लेकिन दो दिन बाद डॉ. असाटी ने कहा कि दो ब्लॉकेज और बाकी हैं। विरोध बढ़ने पर दोनों ने बयान बदल दिया कि इलाज चरणबद्ध किया गया।
समाजसेवी ने की शिकायत:
इस मामले की शिकायत समाजसेवी दीपक मानिकपुरी ने 19 मई को थाना कोतवाली, कलेक्टर सरगुजा और सीएमएचओ को पत्र लिखकर की। उन्होंने इसे गरीबों के अधिकारों का हनन बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।
उठते सवाल:
यदि आयुष्मान स्वीकृति पहले से थी तो नकद भुगतान क्यों?
“टेक्निकल इशू” का तर्क कब तक दिया जाएगा?
डॉक्टरों के विरोधी बयान से मरीजों का विश्वास कैसे बहाल होगा?

जनता की मांगे:
सभी क्लेम्स की स्वतंत्र ऑडिट कराई जाए!
स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी के लिए रीयल-टाइम प्रणाली लागू हो!
निष्कर्ष
यह मामला केवल एक मरीज या अस्पताल तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह है। यदि इस पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह योजना के उद्देश्य पर कुठाराघात होगा।











