
रिपोर्ट – जिला ब्यूरो: हरि देवांगन, चांपा/ बदली छाते ही गुल हो जाती है बिजली – लटकते झूलते तारों से मंडरा रहा खतरा, कब जागेगा प्रशासन?
जांजगीर-चांपा जिले के उपमुख्यालय चांपा में ‘निर्बाध बिजली आपूर्ति’ अब महज एक जुमला बन कर रह गया है। भीषण गर्मी का दौर जारी है, परंतु नगरवासी बिजली कटौती से बुरी तरह त्रस्त हैं। स्थिति इतनी बदतर है कि जरा सी बदली छाते ही पूरे शहर की बिजली गुल हो जाती है।
शहर भर में लटकते-झूलते तार मौत को आमंत्रण देते नजर आते हैं, लेकिन विद्युत विभाग इन पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझता। यह बिजली व्यवस्था में बरती जा रही घोर लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है। जहां एक ओर शासन छत्तीसगढ़ को बिजली उत्पादन में सरप्लस बताता है, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं को बिजली की आंख-मिचौली से जूझना पड़ रहा है।
स्थानीय सूत्रों की मानें तो विद्युत मंडल में पदस्थ कनिष्ठ अभियंता न तो पहले ग्रामीण क्षेत्रों की समस्या संभाल पाए, और न अब शहरी क्षेत्र की। जिम्मेदारी मिलने के बाद बिजली संकट और गहराता जा रहा है।
नगर में लगे कई खंभों से बिजली के तार मकड़ी के जाल की तरह लटके हुए हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि लोग मज़ाक में कहते हैं – “यहां तो चिड़िया या कौवा भी तार पर बैठ जाए तो शॉर्ट सर्किट होकर बिजली चली जाती है!” यह मज़ाक नहीं, बल्कि उस भयावह सच की ओर इशारा करता है जिससे हर नगरवासी रोजाना दो-चार होता है।
कुछ साल पहले चांपा क्षेत्र की विद्युत व्यवस्था को बेहतर बनाने करोड़ों की राशि स्वीकृत हुई थी, परंतु उसका असर आज भी नजर नहीं आता। अगर उसी वक्त तारों को व्यवस्थित कर दिया गया होता, तो शायद आज यह हालात नहीं होते।
अब सवाल उठता है – जब छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर और सरप्लस की स्थिति में है, तो चांपा जैसे नगरों में लोगों को रोज-रोज बिजली संकट से क्यों जूझना पड़ रहा है? क्या इस सवाल का कोई जवाब जिम्मेदार अधिकारियों के पास है?