
संवाददाता धीरेंद्र जायसवाल/ “आदिवासी जमीनों पर फर्जी सहमति से कब्जा? मग्गू सेठ के खिलाफ बड़ा खुलासा”
रायगढ़/बलरामपुर-रामानुजगंज:
विनोद अग्रवाल उर्फ मग्गू सेठ के खिलाफ आपराधिक गतिविधियों और अवैध संपत्ति अर्जन के आरोपों ने एक बार फिर हलचल मचा दी है। अब एक नया दस्तावेज सामने आया है, जो आदिवासी समुदाय की जमीनों पर कथित फर्जी सहमति के जरिए कब्जा किए जाने की ओर इशारा कर रहा है।
क्या है मामला?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, मग्गू सेठ 2009 से 2024 तक हत्या, जबरन वसूली, जमीन कब्जाने और फर्जी रजिस्ट्री जैसे गंभीर अपराधों में संलिप्त रहे हैं। इन पर पहाड़ी कोरवा समुदाय की जमीनों को अवैध तरीकों से हड़पने का भी आरोप है, जिसे अब “Land Grab under Disguise of Power” कहा जा रहा है।
हाल ही में सामने आए एक सहमति पत्र (दिनांक 11 नवंबर 2024) में चार आदिवासी व्यक्तियों द्वारा जमीन के हस्तांतरण की सहमति दर्शाई गई है। यह सहमति पत्र 50 रुपये के गैर-न्यायिक स्टाम्प पर तैयार किया गया है, जिसमें अंगूठा निशानी का प्रयोग किया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, सहमति के तरीके और आदिवासी अधिकारों के उल्लंघन की जांच बेहद जरूरी है।
Proceeds of Crime और कानूनी प्रावधान
जानकारों का कहना है कि यदि जमीन का हस्तांतरण धोखाधड़ी या दबाव से कराया गया हो, तो वह अपराध की आय (Proceeds of Crime) मानी जाएगी।
Prevention of Money Laundering Act (PMLA), 2002 के तहत ऐसी संपत्तियों को ED जब्त कर सकती है।
Benami Transactions Act के तहत फर्जी नामों पर खरीदी गई संपत्तियों पर भी कानूनी कार्रवाई संभव है।
PESA कानून और आदिवासी संरक्षण अधिनियम के तहत आदिवासी जमीनों की रक्षा का प्रावधान है।
कार्रवाई की संभावनाएं
1. ED द्वारा संपत्ति अटैचमेंट: अवैध ढंग से अर्जित संपत्ति जब्त हो सकती है।
2. आयकर विभाग जांच: घोषित आय और संपत्ति के असंतुलन की जांच संभव।
3. पुलिस एवं PMLA केस: फर्जी सहमति के आधार पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज हो सकता है।
4. बेनामी संपत्ति अधिनियम के तहत जब्ती: गलत तरीके से खरीदी गई जमीनों पर कार्रवाई हो सकती है।
स्थानीय प्रतिक्रिया
स्थानीय आदिवासी समुदाय और सामाजिक कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है। एक कार्यकर्ता ने कहा,
> “यह सिर्फ एक जमीन का मामला नहीं है, बल्कि आदिवासी अस्मिता और कानून के दुरुपयोग का खुला उदाहरण है। यदि इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह अपराधियों के लिए हरी झंडी देने जैसा होगा।”
आगे की राह
फिलहाल, पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक मग्गू सेठ के खिलाफ सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं। यदि जांच आगे बढ़ती है, तो यह रायगढ़ और बलरामपुर-रामानुजगंज क्षेत्र में माफिया तंत्र पर एक बड़ा प्रहार होगा।