
पिछले 100 दिनों से धरना प्रदर्शन का दौर जारी है। पूरे दमखम के साथ हितग्राही वापस अपने कर्मभूमि पर लौट आए हैं। प्रशासनिक धोखा नीति के शिकार ग्राम वासियों में एकता का अद्भुत उदाहरण देखने को मिल रहा है।
जिला मुख्यालय जांजगीर चांपा में, त्रिस्तरीय चुनाव में आदर्श आचार संहिता समाप्त होते ही, मड़वा ताप विद्युत कामगार एवं भूविस्थापित श्रमिक संघ ने भूविस्थापितों को नौकरी देने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है।
14 अक्टूबर 2024 से 21 जनवरी 2025 तक, भू-विस्थापितों एवं प्रभावित परिजनों ने चरणबद्ध आंदोलन किया है। शासन, प्रशासन और विद्युत प्रबंधन ने उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए कोई उचित कार्रवाई नहीं की है।
यह धरना प्रदर्शन अब ऐतिहासिकता को साबित करने के मुकाम पर पहुंच रहा है। इतने लंबे समय तक धरना प्रदर्शन का यह एक अद्वितीय उदाहरण है। अपनी जायज मांगों को लेकर, आंदोलन कर रहे हैं।
यह आंदोलन प्रतिदिन सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक मड़वा संयंत्र के प्रवेश द्वार पर चल रहा है। सालों पहले, ग्राम मडवा में विद्युत इकाई की स्थापना के लिए ग्रामीणों की भूमि अधिग्रहित की गई थी।
हालांकि, जिन शर्तों के साथ भूमि ली गई थी, उन्हें अब तक लागू नहीं किया गया है। इसके कारण, हितग्राही और ग्रामीण जन मौसम प्रतिकूल होते हुए भी धरना दे रहे हैं।
शासन प्रशासन के उच्च स्तर पर बैठे जिम्मेदार लोग इस मामले को नजरअंदाज कर रहे हैं। यह सब निसंदेह नियमों को ताक पर रखने जैसा है।
क्या हितग्राही की मांग पूरी होगी? यह सवाल अब सबके मन में है।
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