
महाकुंभ का तीसरा और अंतिम शाही स्नान बसंत पंचमी के अवसर पर आयोजित किया गया। यह पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह तिथि 2 फरवरी को सुबह 9:14 बजे प्रारंभ होकर 3 फरवरी को सुबह 6:52 बजे समाप्त हुई। इस दिन देवी सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है।

प्रयागराज महाकुंभ का यह अमृत स्नान 2 से 3 फरवरी तक चला। श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया और साधु संतों ने पारंपरिक साज-सज्जा के साथ स्नान किया। नागा संन्यासियों ने रथों, हाथियों, ऊंटों और घोड़ों पर सवार होकर संगम तट पर पहुंचकर इस धार्मिक पर्व का आनंद लिया। स्नान के बाद, संतों ने अपने शिविरों में पूजा-अर्चना की और विदाई की तैयारियों में जुट गए।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि इस शाही स्नान के बाद, संत वाराणसी के लिए प्रस्थान करेंगे। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे संगम घाट पर अनावश्यक भीड़ न बढ़ाएं। इस शाही स्नान में लगभग 5000 से 6000 नागा संन्यासी संगम तट पर पहुंचे थे।

अब हम अगले महाकुंभ का इंतजार करेंगे, जो कि 2031 में फिर से प्रयागराज में आयोजित होगा।
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