
संवाददाता हरीराम देवांगन
खेला कमीशन का- विकास के नाम पर हुआ लाखों-करोड़ों का नवनिर्माण, पर जिम्मेदार भूल गए तालाब के घाट
तालाब में महिलाएं बेपर्दा नहाने को विवश क्यों,,,,?

जिला उप मुख्यालय चांपा – अब से ठीक 5 साल पहले और न जाने उसके और कितने साल पहले से नगर विकास के नाम पर समर्थन मांग कर जीत हासिल करने वाले लोग यह अक्सर भूल जाते हैं कि उनके अथवा उनके पार्टी के द्वारा क्या और कितने वादे किए गए थे, ना उन्हें वादे याद आते हैं और ना याद कराने पर वे पूरा करने का सामर्थ रखते हैं,फिर भी अब पुनः इन्हीं वादों इरादों के साथ वोट मांगने की राजनीति को करने पर आमादा नजर आ रहे हैं,जी हां हम चांपा नगर के हृदय स्थल चांपा थाना के पास उस तालाब का जिक्र कर रहे हैं, जहां गरीब असहाय वर्ग की महिलाएं तालाब के घाट में बेपर्दा नहाने के लिए सालों से विवश हो रहे हैं, नगर में नाली सड़क जैसे मुद्दों पर लाखों करोड़ों का नवनिर्माण करने का दावा तो किया जाता रहा है लेकिन उस मूलभूत जरूरत का क्या जिसके अभाव में नगर के मां और बहने सैकड़ो राह गीरों के नजरों के सामने सरे आम परेशानियों को झेलते हुए तालाब के घाटों में नहाते चले आ रहे हैं, रही बात नगर विकास के नाम पर नवनिर्माण की तो वह यूं ही नहीं होता, बताते चलें कि स्तर हीन निर्माण कार्य तो बाद में होता है पहले पालिका स्तर पर कमीशन का खेला खेलने वाले लोगों ने इस पर कभी कोई ध्यान ही नहीं दिया और ध्यान दिया होता तो अब से सालों पहले इस महत्वपूर्ण तालाब के छाती पर कब का दिवाल खड़ा हो जाता और हमारी मां बहने यूं इस तरह से बेपर्दा नहाने के लिए विवश नहीं हो रही होती,अब यहां पर मसाला सहित सवाल यह है कि इतना निर्माण कार्य का दावा करने वाले जिम्मेदार नगर सरकार के लोगों ने चंद हजार रुपए दीवाल खड़े करने के नाम पर खर्च करना गवारा क्यों नहीं समझा,तो इसका उत्तर हम यहां पर आपके समक्ष बताते हैं,,,

,,,,,,इस संवाद दाता ने मूल वजह को जानने के लिए लगाया था आरटीआई का आवेदन,,, तालाब के घाट में मां बहनों को बेपर्दा नहाते देखकर इस संवाददाता को इतनी पीड़ा हुई कि नगर पालिका अध्यक्ष एवं मुख्य पालिका अधिकारी के नाम सालों पहले आवेदन प्रेषित कर घाट में अविलंब दीवाल खड़ा करने के लिए मांग आवेदन प्रेषित किया गया था जिस पर जिम्मेदारों ने कहीं कोई जवाब देना जरूरी नहीं समझा, तदुप्रांत संवाददाता के द्वारा आरटीआई आवेदन लगाकर जानकारी मांगा गया, जिसकी जानकारी विलंब से उपलब्ध कराते हुए आरटीआई जानकारी में बताया गया कि यह तालाब किसी की निजी संपत्ति है और यहां पर्दा रूपी दीवाल खड़ा नहीं किया जा सकता,जिस पर पुनः संवाददाता के द्वारा आवेदन लगाते हुए यह सुझाव दिया गया था कि यह तालाब जिस किसी कि भी निजी संपत्ति है उसे सौहार्द पूर्ण चर्चा कर दीवाल अथवा अन्य विकल्प के रूप में इंतजाम किया जा सकता है इस पर भी पालिका प्रशासन के द्वारा कोई जानकारी प्रदान नहीं किया गया, इससे आसनी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जहां कमिशन का खेला नहीं है वहां निर्माण कार्य आखिर हम क्यों करें और कराए,,,,।
,,,,, ज्ञात की जहां एक ओर यह तालाब आम आवा जाही मार्ग पर व्यवस्थित है जिसके चलते सुबह से शाम तक हजारों लोगों का आना-जाना होता है ऐसी स्थिति में महिलाओं को अपनी रोजमर्रा के कार्य सहित स्नान ध्यान करने में कितनी बड़ी परेशानी महसूस होती होगी यह वहां आने जाने वाले महिलाओं को ही मालूम होगा, जिम्मेदारों को इस तकलीफ की एहसास होता तो दीवार ही नहीं कोई दूसरा विकल्प तलाश कर यहां पर्दा का निर्माण किया जा सकता था, लेकिन नगर सरकार द्वारा नगर विकास किस तरह से किया जाता है उसका यहां पर बतौर उदाहरण प्रस्तुत करने का प्रयास किया जा रहा है,और अब विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के द्वारा एक बार फिर नगर विकास के नाम पर जिस तरह से ढिंढोरा पीटा जा रहा है वह सपना साकार होगा या नहीं यह तो फिर हाल भविष्य के गर्भ में समाया हुआ है,अब देखना होगा 11 फरवरी मतदान के बाद चाहे जिस पार्टी का भी नगर सरकार गठन हो के द्वारा क्या और कितना तालाब के घाट में परदा लगाया जाता है, और यदि इसके बाद भी इस तालाब के घाट पर कोई वैकल्पित इंतजाम नहीं किया गया तो इस संवाददाता के द्वारा इस समस्या को यहीं पर नहीं छोड़ा जाएगा बल्कि फिर से आवेदन निवेदन का प्रक्रिया से नवीन गठित नगर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने का हर संभव प्रयास किया जाता रहेगा,,,।
,,,, इसी तरह से आगे भी पढ़ते रहिए अपना लोकप्रिय न्यूज़ चैनल में बेबाक और निष्पक्ष खबरें।