
संवाददाता धीरेंद्र कुमार जायसवाल/ उज्जैन में चौबीस खम्बा माता को मदिरा का भोग; राजा विक्रमादित्य से चली आ रही प्राचीन परंपरा
Ujjain Chaubis Khamba Mata | 30 सितंबर
शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी पर मंगलवार सुबह उज्जैन में पारंपरिक शासकीय नगर पूजा का आयोजन किया गया। कलेक्टर रौशन सिंह और उनके प्रतिनिधियों ने चौबीस खंबा माता मंदिर में महामाया और महालया माता को मदिरा का भोग लगाकर पूजा-अर्चना की।
नगर पूजा की ऐतिहासिक परंपरा:
मान्यता है कि यह अनोखी परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से चली आ रही है। नगर पूजा का आयोजन नगर को आपदाओं और विपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। यह पूजा तांत्रिक स्वरूप की होती है, जिसमें मदिरा से भरी मटकी पूरे नगर में घुमाई जाती है और उसकी धार नगर के मार्गों पर बहाई जाती है।
चौबीस खंबा मंदिर से शुरुआत:
सुबह 8 बजे चौबीस खंबा माता मंदिर से नगर पूजा का शुभारंभ हुआ, जो रात करीब 8 बजे हांडी फोड़ भैरव मंदिर पर सम्पन्न होगी। इस यात्रा के दौरान लगभग 27 किलोमीटर पैदल चलकर 40 देवी, भैरव और हनुमान मंदिरों में पूजन-अर्चन किया जाएगा।
देवी और भैरव मंदिरों में : मदिरा का भोग
हनुमान मंदिरों में : ध्वजा अर्पित की जाएगी
बलबाकल और विशेष भोग:
नगर पूजा के लिए दो दिन पहले ही 45 तरह की पूजा सामग्री एकत्र कर ली जाती है। चौबीस खंबा माता मंदिर के पास काले चने और गेहूं को उबालकर बलबाकल (करीब 35 किलो) तैयार किया जाता है। इसके अलावा पूड़ी-भजिया सहित अन्य भोग भी अर्पित किए जाते हैं।
सांस्कृतिक आस्था और श्रद्धा का प्रतीक:
नगर पूजा के दौरान माता को सोलह श्रृंगार, चुनरी और श्रृंगार सामग्री अर्पित की जाती है। महाअष्टमी के दिन दोपहर में हरसिद्धि मंदिर में भी विशेष शासकीय पूजा की जाती है। परंपरा है कि माता को मदिरा का भोग लगाने से नगर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।