
संवाददाता धीरेंद्र कुमार जायसवाल/ “सूचना का अधिकार घुमाया टेबल से टेबल तक, जवाब ना कोई संदेश”
चांपा। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित प्रदेश मंत्रालय, जिसे प्रदेश का सबसे बड़ा और शक्तिशाली प्रशासनिक केंद्र माना जाता है, वहां सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI Act) के साथ जो व्यवहार हुआ, वह लोकतंत्र की आत्मा के साथ मज़ाक के समान है।
⚫ लगभग दो माह पहले, संवाददाता हरिराम देवांगन द्वारा मंत्रालय को ड्रोन मैपिंग से जुड़ी जनहित की जानकारी पाने के लिए RTI आवेदन रजिस्टर्ड डाक से भेजा गया था। लेकिन जवाब देना तो दूर, आवेदन को एक टेबल से दूसरी टेबल और एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी के बीच फुटबॉल की तरह घुमाया गया।
🔁 जवाब नहीं, ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ा गया:

RTI आवेदन को देखने के बाद मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने जानकारी देने की जगह दायित्व से बचते हुए उसे अपने अधीनस्थ अधिकारियों को भेज दिया, और यह कहकर जिम्मेदारी खत्म कर ली कि “आवेदक को तय समय सीमा में जानकारी प्रदान की जाए।”
🟤लेकिन वास्तविकता यह है कि —
जिस जानकारी की मांग की गई थी, वह केवल मंत्रालय स्तर पर ही उपलब्ध थी, न कि स्थानीय निकाय जैसे नगर पालिका चांपा में।
🟤 इसके बावजूद, आवेदन को चांपा नगर पालिका को भेज दिया गया — यानी, जानबूझकर आवेदक को भ्रमित करने और मामला लटकाने का प्रयास किया गया।
❌ प्रथम अपील भी बेअसर – मंत्रालय मौन:
संवाददाता द्वारा प्रथम अपील के तहत दोबारा आवेदन प्रस्तुत किया गया, लेकिन इस बार भी मंत्रालय ने चुप्पी साध ली।
20 दिन से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन न तो कोई जवाब आया, न कोई संपर्क किया गया।
📣 बड़ा सवाल – RTI के अधिकार का ऐसा हाल, वो भी मंत्रालय में?
❓क्या मंत्रालय जैसे उच्च कार्यालयों में सूचना का अधिकार सिर्फ दिखावा बन गया है?
🤷 जब राजधानी में बैठा मंत्रालय इस तरह RTI आवेदन से पल्ला झाड़ता है, तो ब्लॉक और तहसील स्तर पर क्या स्थिति होगी?
⁉️ क्या मंत्रालय के अधिकारी RTI कानून से वाकिफ नहीं हैं, या फिर जानबूझकर जनता से जानकारी छुपा रहे हैं?
🥀 “चिट्ठी ना कोई संदेश…” – RTI की चुप्पी पर चुभती है ग़ज़ल
✍️ इस पूरी घटना ने ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह की वह मशहूर पंक्तियाँ याद दिला दीं:
📝 “चिट्ठी ना कोई संदेश, जाने कौन सा देश…”
🟤 RTI आवेदन भी अब उसी अज्ञात देश की यात्रा पर है — जहां से कोई जवाब नहीं आता।
⚖️ लोकतंत्र की बुनियाद पर सवाल:
🕺 RTI के ज़रिए जब आम नागरिक जानकारी मांगता है, तो यह उसका संवैधानिक अधिकार है।
🔳 ऐसे में उसे टालना, गुमराह करना या अनसुना करना, सीधे-सीधे जनता के अधिकारों का हनन है।
🔳 RTI को यदि इसी तरह घुमाया जाता रहा, तो यह देश के सूचना अधिकार की आत्मा की हत्या के बराबर होगा।
📌 निष्कर्ष:
🟤 छत्तीसगढ़ जैसे जागरूक राज्य में, मंत्रालय स्तर पर RTI के साथ किया गया यह व्यवहार पूरे प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़ा करता है।
🟤 यह न सिर्फ एक आवेदक के अधिकारों का अपमान है, बल्कि RTI कानून की विश्वसनीयता पर गहरी चोट भी है।