जिला ब्यूरो – हरिराम देवांगन/ ग्राम पंचायत कुरदा में अव्यवस्था का असली चेहरा

जिला उपमुख्यालय चांपा:
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पंचायती राज अधिनियम के अंतर्गत गांवों के समुचित विकास के लिए करोड़ों की राशि ग्राम पंचायतों को भेजी जा रही है। परंतु यदि इन राशि का सही उपयोग नहीं हो तो हाल वही होता है जो ग्राम कुरदा के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्पष्ट देखा जा सकता है।
कुरदा के मुख्य चौक, जो कि चांपा होते हुए कोरबा मुख्य मार्ग को जोड़ता है, वहां वर्षों से घुमंतू पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। चौक का बुरा हाल किसी दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा है।
दिन के समय से लेकर देर रात तक, गाय-बैल खुलेआम घूमते हैं। अंधेरे में दोपहिया और भारी वाहनों के चालकों को अपनी जान हथेली पर लेकर चलना पड़ता है। बावजूद इसके ग्राम पंचायत और प्रतिनिधियों की चुप्पी एक अवसरवादी लापरवाही को दर्शाती है।

स्थानीय निवासियों के अनुसार, कई बार दुर्घटनाएँ हो चुकी हैं, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यहां तक कि जिन प्रतिनिधियों को जनता ने चुना है, उनमें से कई के खुद के पशु भी सड़कों पर घूमते देखे गए हैं।
सवाल उठता है –
क्या पंचायतें केवल बजट पास करने और योजनाओं की खानापूर्ति तक सीमित रह गई हैं?
क्या ग्रामीणों की जान की कीमत केवल वोटों तक सीमित है?
अब समय आ गया है कि शासन, प्रशासन और मीडिया इस मुद्दे को गंभीरता से लें। अन्यथा एक दिन यही घोर लापरवाही किसी बड़ी जनहानि का कारण बन सकती है।