
संवाददाता धीरेंद्र कुमार जायसवाल/ आईएफएसएमएन ने मनाया 40वां स्थापना दिवस, स्वतंत्र प्रेस की चुनौतियों पर उठाई आवाज
नई दिल्ली,
भारतीय लघु एवं मध्यम समाचार पत्र महासंघ (IFS MN) ने अपने 40वें स्थापना दिवस के अवसर पर पत्रकारिता में गिरते मानकों और छोटे-मध्यम समाचार पत्रों की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता के लिए सामूहिक संघर्ष का आह्वान किया।
हौज खास स्थित जगन्नाथ मंदिर मीटिंग हॉल में आयोजित इस समारोह के मुख्य अतिथि, वरिष्ठ पत्रकार व पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर ने कहा, “पत्रकारिता लोकतंत्र का दर्पण है। इसके रक्षक स्वयं पत्रकारों को बनना होगा—जागरूकता और एकता ही इसकी नींव हैं।” उन्होंने दोहरी नीतियों को पत्रकारिता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया, विशेषकर लघु और मध्यम समाचार पत्रों के लिए।

पूर्व राजनयिक अमरेंद्र खटुआ ने सरकार की उदासीनता की आलोचना करते हुए कहा, “अब वक्त आ गया है कि प्रेस अपनी कलम को तेज करे और ज़ोर से बोले।”
डॉ. पवित्र मोहन सामंत्रे, राष्ट्रीय अध्यक्ष (IFS MN), ने देशभर से आए पत्रकारों का स्वागत करते हुए घोषणा की कि सभी चिंताओं को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सहित संबंधित विभागों को भेजा जाएगा। जरूरत पड़ने पर नीति आधारित आंदोलन शुरू किया जाएगा।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय संयोजक मेहताब खान चांद ने किया। विशिष्ट अतिथियों में सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता स्नेहाशीष मुखर्जी, बैष्णो देवी मंदिर की प्रबंध ट्रस्टी सुश्री चांदनी, पूर्व मंत्री मुकुल उपाध्याय, श्रद्धेय पूजानंद गिरि महाराज और महामंडलेश्वर जवाहर जैरथ शामिल रहे।
इस अवसर पर पत्रकारिता में योगदान के लिए डॉ. कुमार राकेश, निगमानंद प्रुस्ती, शक्ति प्रसाद नायक, लिंगराज साहू, गगन बिस्वाल सहित कई वरिष्ठ पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत पंडित देवव्रत मिश्रा द्वारा दीप प्रज्वलन और मंत्रोच्चार से हुई। पहलगाम हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु दो मिनट का मौन रखा गया। समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
यह सम्मेलन लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों की एकजुटता, संघर्षशीलता और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मज़बूती से थामे रखने के उनके संकल्प का सशक्त प्रतीक बना।