
संवाददाता राजू पाल/ अवैध ईंट भट्टों का संचालन: जंगलों की कटाई और पर्यावरण को भारी नुकसान, ग्रामीणों ने सुशासन तिहार में की शिकायत
हथबंद।
बलौदाबाजार जिले के विभिन्न ग्रामों—लावर, मनोहरा, चोरेगा, सीतापार, मोहभट्टा, रिंगनी, केसदा और कामता—में अवैध रूप से संचालित हो रहे ईंट भट्टों के कारण न केवल पर्यावरण को भारी क्षति पहुँच रही है, बल्कि शासकीय राजस्व की भी बड़ी हानि हो रही है।
इन भट्टों का संचालन बिना किसी अनुमति और आवश्यक लाइसेंस के किया जा रहा है। नियमों को ताक पर रखकर जंगलों से लकड़ी काटकर ईंटें पकाई जा रही हैं। प्रति हज़ार ईंटों की बिक्री सात हजार रुपए तक में की जा रही है, जिससे संचालक मालामाल हो रहे हैं जबकि शासन को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद खनिज विभाग और राजस्व विभाग ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। यही कारण है कि अब ग्रामीणों ने ‘सुशासन तिहार’ के दौरान इस गंभीर मुद्दे को उठाया।
वन विभाग की कार्रवाई
कलेक्टर के निर्देश पर वन विभाग की टीम—डिप्टी रेंजर सरिता एक्का, वन रक्षक गोविंद पाटले—ने मौके का निरीक्षण किया। सरिता एक्का ने बताया कि अवैध रूप से संचालित ईंट भट्टों की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। मौके पर ग्रामीणों के बयान दर्ज कर पंचनामा भी किया गया।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया
ग्राम मनोहरा की सरपंच चित्ररेखा साहू ने बताया कि बस्ती से सटे भट्टों के संचालन से प्रदूषण फैल रहा है, जिससे स्कूली बच्चों को परेशानी हो रही है। चौरेंगा के सरपंच विलियम धृतलहरे ने बताया कि सड़क किनारे संचालित भट्टों से राहगीरों को आंखों में धूल-कंकड़ पड़ने की समस्या हो रही है।
कार्यवाही के दौरान दरचुरा, अलकलतरा सहित कई ग्रामों के सरपंच, पूर्व सरपंच मोतीलाल, पूर्व जिला सदस्य रमेश धृतलहरे, पंच शिवकुमार साहू समेत कई ग्रामीण उपस्थित रहे।

पूर्व में ग्राम सरपंचों द्वारा भट्ठा संचालकों को नोटिस भी दिया गया था, परंतु जवाब न मिलने और कार्रवाई के अभाव में संचालक बेखौफ होकर ईंट निर्माण कार्य में लगे हुए हैं। इस पूरे मामले की शिकायत जनशिविर कुतरौद में शंकर यादव द्वारा भी की गई थी।
नियमों की अनदेखी
ईंट भट्टों के संचालन के लिए पर्यावरण विभाग, वन विभाग, तहसील कार्यालय से एनओसी, ग्राम पंचायत की अनुमति एवं लाइसेंस जरूरी होते हैं। परंतु इन ग्रामों में नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या ठोस कदम उठाता है और जंगलों की कटाई, प्रदूषण और राजस्व हानि जैसे गंभीर विषयों पर कब तक कार्रवाई करता है।