
कब होगी मुद्दे की बात? विस्थापितों के सब्र का बांध टूटा तो कौन होगा जिम्मेदार?
जांजगीर-चांपा- जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा है धरना प्रदर्शन। जांजगीर चांपा के जिला मुख्यालय से ब्यूरो चीफ हरिराम देवांगन की रिपोर्ट के अनुसार, मड़वा ताप विद्युत कामगार एवं भूविस्थापित श्रमिक संघ एटक ने अटल बिहारी बाजपेयी ताप विद्युत संयंत्र परियोजना के खिलाफ आवाज उठाई है।
सिंचित भूमि को हथियाने के बाद, ग्राम वासियों को चौतरफा ठगा गया है। अब भू-विस्थापित अपने हक की जायज़ मांग के लिए 14 अक्टूबर 2024 से 128 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
शासन प्रशासन के कटनी और करनी में अंतर के चलते, भू-विस्थापितों की नौकरी की मांग अनसुनी हो रही है। प्रशासन ने इन्हें मजबूर और गरीब बना दिया है। लंबे समय तक इंतजार करने के बाद, अब ये भू-विस्थापित आंदोलन के रास्ते पर हैं।
आज, 27 मार्च को, हाकी मैदान जांजगीर से मड़वा संयंत्र तक पैदल रैली निकाली गई। भू-विस्थापितों ने “भू-विस्थापितों को नौकरी दो”, “जीवन निर्वहन भत्ता दो” जैसे नारे लगाए।
रैली में लगभग 150 भू-विस्थापितों ने भाग लिया। जन प्रतिनिधियों ने भी रैली में शामिल होकर समर्थन दिया। संगठन प्रमुख सुधीर यादव और अन्य नेताओं के नेतृत्व में यह सफल आयोजन हुआ।
भू-विस्थापितों की मांग लाजमी है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। प्रशासन और विद्युत प्रबंधन को चाहिए कि वे इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें, क्योंकि धैर्य समाप्त होने पर कोई अनहोनी हो सकती है।
आखिर में, हम सभी को एकजुट होकर इस मुद्दे को उठाना होगा।
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