
जय जोहार सीजी न्यूज़ | छत्तीसगढ़
संवाददाता – हरिराम देवांगन/ गई भैंस पानी में!
करोड़ों की ठगी के बाद भी अनुत्तरित सवाल – गरीबों की डूबी रकम कब और कैसे होगी वापस?
जिला उप मुख्यालय – चांपा
चांपा में करोड़ों रुपये की बहुचर्चित डाकघर ठगी मामले में भले ही कुख्यात शातिर आरोपी दीपक देवांगन उर्फ “नटवरलाल” को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया हो, लेकिन इससे सैकड़ों पीड़ित खाताधारकों को कोई वास्तविक राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद भी सबसे बड़ा और गंभीर सवाल अब तक जस का तस बना हुआ है — आखिर गरीब और मध्यम वर्ग के खाताधारकों की डूबी हुई रकम वापस कैसे और कब मिलेगी?
पुलिस प्रशासन द्वारा पूछताछ में पूरे घटनाक्रम का खुलासा होने की बात कही जा रही है, परंतु ठगी के शिकार सैकड़ों खाताधारकों के लिए यह महज कागजी कार्रवाई से अधिक कुछ नहीं लग रहा। न थाना स्तर पर, न जिला प्रशासन स्तर पर और न ही चांपा डाकघर प्रबंधन द्वारा अब तक किसी प्रकार की बैठक, चर्चा या ठोस पहल होती दिखाई दे रही है।
गरीब और असहाय खाताधारक भारी असमंजस में
रिक्शा चालक, ठेला लगाने वाले, सब्जी विक्रेता, छोटे दुकानदार, व्यापारी, ठेकेदार और आम नागरिक — सभी ने अपनी गाढ़ी कमाई को सुरक्षित भविष्य के भरोसे डाकघर की योजनाओं में जमा किया था। लेकिन दीपक देवांगन ने विश्वास का ऐसा घात किया कि मेहनत की कमाई अब “गई भैंस पानी में” जैसी कहावत को साकार करती नजर आ रही है।
बताया जा रहा है कि आरोपी ने जमा की गई भारी भरकम राशि को ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स और गैरकानूनी जुए में गवां दिया। ऐसे में पीड़ितों के मन में यह आशंका और गहरी हो गई है कि क्या उनकी रकम कभी वापस भी मिल पाएगी?
रकम वापसी को लेकर कोई आश्वासन नहीं:
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि रकम वापसी को लेकर न तो प्रशासनिक स्तर पर कोई स्पष्ट बयान सामने आया है और न ही पीड़ितों को किसी प्रकार की लिखित या मौखिक दिलासा दी जा रही है। इससे खाताधारकों के मन में संदेह और भय लगातार बढ़ता जा रहा है।
लोगों का कहना है कि जिले में पहले भी चिटफंड कंपनियों द्वारा हजारों लोगों से करोड़ों की ठगी की जा चुकी है, लेकिन आज तक किसी को भी पूरी राशि वापस नहीं मिली। ऐसे कड़वे अनुभवों के कारण इस मामले में भी रकम डूबने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
सपनों की पूंजी बन गई ठगी का शिकार:
किसी ने घर बनाने के लिए पैसा जमा किया था,
किसी ने बच्चों की पढ़ाई के लिए,
किसी ने बेटी-बेटे की शादी के लिए,
तो किसी ने बुढ़ापे के सहारे के रूप में।
लेकिन विश्वास के बदले खाताधारकों को मिला सिर्फ धोखा, चिंता और अंधकारमय भविष्य।
अब भी बड़ा सवाल कायम:
आरोपी जेल में है, जांच जारी है —
लेकिन सैकड़ों पीड़ित खाताधारकों की जिंदगी ठहर सी गई है।
आज हर जुबान पर सिर्फ एक ही सवाल है—
👉 क्या ठगी का शिकार हुए लोगों को उनकी मेहनत की कमाई वापस मिलेगी?
👉 या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा?
जब तक प्रशासन इस दिशा में ठोस और पारदर्शी कदम नहीं उठाता, तब तक यह मामला सिर्फ गिरफ्तारी नहीं बल्कि न्याय की अधूरी कहानी बना रहेगा।











