
संवाददाता हरिराम देवांगन/ रायपुर रेलवे स्टेशन पर महीनों से बंद पड़ी इलेक्ट्रिक सीढ़ी, यात्रियों के लिए इमरजेंसी नंबर बना मज़ाक
रायपुर। राजधानी रायपुर का रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख और राजस्व अर्जित करने वाले स्टेशनों में गिना जाता है। यहां से हर दिन लाखों यात्री आवागमन करते हैं। सुविधाओं के नाम पर रेलवे विभाग करोड़ों खर्च कर स्वचालित इलेक्ट्रिक सीढ़ी जैसे आधुनिक संसाधन तो उपलब्ध करा देता है, लेकिन उनके रखरखाव के नाम पर वही पुराना ढर्रा—निराशाजनक लापरवाही।
प्लेटफार्म क्रमांक 5 और 6 के बीच स्थापित स्वचालित सीढ़ी पिछले कई महीनों से बंद पड़ी है। रेलवे प्रशासन ने इसे सुधारने के बजाय केवल एक इमरजेंसी नंबर का कागज चस्पा कर दिया, जिसे देख यात्री उलझन में हैं — करें तो क्या करें?

यह सीढ़ी खासकर वृद्ध, बीमार, विकलांग, गर्भवती महिलाओं और भारी सामान लेकर चल रहे यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा थी। अब इनके लिए प्लेटफॉर्म बदलना किसी संघर्ष से कम नहीं।
प्रशासन चुप, समस्या स्थायी:
ऐसे में सवाल उठता है — जब रेलवे मंत्रालय और ज़ोनल अधिकारी सुविधाओं के प्रचार-प्रसार में तत्पर हैं, तो रखरखाव में यह लापरवाही क्यों? रायपुर जैसे मॉडल स्टेशन पर बुनियादी सुविधाओं का इस तरह ठप पड़ जाना सिर्फ तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता का प्रतीक है।

🚨इमरजेंसी नंबर — दिखावा या समाधान?
रेलवे द्वारा चिपकाया गया इमरजेंसी नंबर किसी भी तरह से यात्रियों की सहायता नहीं कर पा रहा है। किससे संपर्क करें? कौन उठाएगा फोन? समाधान कब मिलेगा? — ऐसे अनुत्तरित सवाल यात्रियों को रोज़ाना परेशान कर रहे हैं।
📌 यात्री मांग कर रहे हैं:
बंद स्वचालित सीढ़ी की तत्काल मरम्मत कर चालू किया जाए।
स्टेशन पर रखरखाव हेतु स्थायी तकनीकी टीम नियुक्त हो।
इमरजेंसी व्यवस्था को सिर्फ दिखावा नहीं, बल्कि वास्तविक समाधान बनाया जाए।
साप्ताहिक/मासिक निरीक्षण की सार्वजनिक रिपोर्ट जारी की जाए।
🚨 “विकास” का दावा तब तक अधूरा है, जब तक बुनियादी सुविधाएं दम तोड़ती रहें।
रेलवे प्रशासन कब जागेगा?