
जिला ब्यूरो हरिराम देवांगन/ रेलवे विभाग की ‘सजग निगाहें’ कौड़ी काम की नहीं!
मॉडल रेलवे स्टेशन रायपुर में महीनों से बंद पड़ी स्वचालित सीढ़ी – बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे परेशान
✍ जिला ब्यूरो चीफ – हरिराम देवांगन
रायपुर, छत्तीसगढ़
प्रदेश की राजधानी रायपुर स्थित मॉडल रेलवे स्टेशन — जिसे विकास और आधुनिकता का प्रतीक कहा जाता है — वहां यात्रियों की बुनियादी सुविधाओं का हाल देखकर हैरानी होती है। लाखों की लागत से बनी स्वचालित सीढ़ियाँ पिछले चार महीनों से भी अधिक समय से खराब पड़ी हैं, और रेलवे प्रशासन की “सजग निगाहें” इस पर अब तक बेखबर बनी हुई हैं।
बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए आफत बनी सीढ़ियाँ
प्लेटफॉर्म के दोनों छोरों को जोड़ने वाली इन सीढ़ियों का मकसद था यात्रियों को राहत देना, लेकिन अब ये सीढ़ियाँ एक बड़ी परेशानी का सबब बन गई हैं। विशेषकर बीमार, घायल, बुजुर्ग और महिलाएं जब भारी सामान के साथ स्थायी सीढ़ियाँ चढ़ने को मजबूर होती हैं, तो “मॉडल” स्टेशन की यह सुविधा व्यंग्य का विषय बन जाती है।
मरम्मत अधूरी, जिम्मेदारी अधूरी
जानकारी के अनुसार, खराब स्वचालित सीढ़ी की मरम्मत की प्रक्रिया एक बार शुरू तो की गई, परंतु “अज्ञात कारणों” से यह कार्य अधूरा रह गया। नतीजा — स्टेशन पर पहुँचने वाले यात्रियों को कोई विकल्प नहीं बचता सिवाय लंबी स्थायी सीढ़ियाँ चढ़ने के।
मुख्य गेट की ओर चालू सीढ़ियाँ भी कब बंद हो जाएँ, भरोसा नहीं!
स्टेशन के मुख्य प्रवेश द्वार की ओर स्थित एकमात्र चालू स्वचालित सीढ़ी भी कभी-कभार ही चलती है। रेलवे प्रशासन इसे 24×7 चालू रखने में असमर्थ क्यों है, यह अपने आप में एक अबूझ सवाल है।
अरबों के बजट के बाद भी रखरखाव शून्य!
पिछले केंद्रीय बजट में देश के सैकड़ों स्टेशनों के कायाकल्प के लिए अरबों रुपए स्वीकृत किए गए थे। रायपुर स्टेशन भी इनमें प्रमुख रूप से शामिल था। सौंदर्यीकरण और विकास कार्यों के नाम पर यहाँ लगातार निर्माण कार्य तो हो रहा है, पर मूलभूत सुविधाओं के रखरखाव में लापरवाही चिंताजनक है।
प्रश्न यह है:
जब रायपुर जैसा ए-क्लास स्टेशन यात्रियों की मूलभूत ज़रूरतों को अनदेखा कर रहा है, तो छोटे स्टेशनों की स्थिति का अंदाज़ा लगाना कठिन नहीं है।
क्या स्वचालित सीढ़ी जैसी सुविधा सिर्फ दिखावे के लिए थी?
करोड़ों की लागत से बनी सुविधा को ठीक कराने में चार महीने क्यों लग रहे हैं?
निष्कर्ष:
रेलवे की इस लापरवाही से आम जनता की परेशानियाँ बढ़ रही हैं। आवश्यकता इस बात की है कि रेलवे प्रशासन त्वरित कार्रवाई करे, स्वचालित सीढ़ियों की तत्काल मरम्मत कराकर उन्हें लगातार संचालन में रखा जाए। साथ ही, जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब तलब भी जरूरी है, ताकि मॉडल स्टेशन होने का असली मतलब साबित हो सके।