
जिला ब्यूरो हरिराम देवांगन/ बिजली संकट पर फूटा जनाक्रोश, चेतावनी के बाद भी ‘मेंटेनेंस’ के नाम पर घंटों बिजली गुल
चांपा। नगर में बिजली समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। भीषण गर्मी के इस दौर में भी नागरिकों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। वर्षों पहले चांपा में बिजली समस्या को लेकर गोलीकांड जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना घट चुकी है, परंतु इसके बावजूद न मंडल में सुधार हुआ और न ही प्रशासन में कोई गंभीरता दिखाई दे रही है।
हाल ही में जागरूक नागरिकों एवं विद्युत उपभोक्ताओं ने विद्युत मंडल कार्यालय पहुंचकर 15 दिनों के भीतर समस्या का समाधान नहीं होने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी दी थी। लेकिन ज्ञापन सौंपे जाने के तीन दिन बाद ही टाउन फीडर क्रमांक-2 क्षेत्र में मेंटेनेंस के नाम पर लगभग 7 घंटे तक बिजली आपूर्ति ठप रही। इसके बाद भी सिलसिला नहीं थमा। 21 मई को फिर से सुबह 8:30 बजे से दोपहर 3 बजे तक बिजली गुल रही, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
जनता का कहना है कि यह सिलसिला सिर्फ एक-दो दिन की बात नहीं है, बल्कि वर्षों से नगरवासी इस संकट को झेल रहे हैं। लगातार बढ़ते लोड के चलते मौजूदा सबस्टेशनों की क्षमता अपर्याप्त साबित हो रही है, और एक नए उच्च क्षमता वाले सबस्टेशन की मांग वर्षों पुरानी है, जो आज तक पूरी नहीं हुई।
हनुमान धारा फीडर को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। भारी भरकम बजट से तैयार यह फीडर शुरू से ही खामियों से ग्रसित बताया जा रहा है। न तो यह फीडर कभी पूरी क्षमता से बिजली दे पाया, और न ही वर्तमान में सफल माना जा सकता है। नगरवासियों का कहना है कि यह फीडर प्रशासनिक उदासीनता और तकनीकी लापरवाही का उदाहरण है।
सूत्रों की मानें तो मेंटेनेंस कार्यों के नाम पर हजारों रुपये खर्च किए जाते हैं, फिर भी जनता को कोई स्थायी राहत नहीं मिल रही। बिजली गुल होने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है, जिससे नागरिकों में रोष बढ़ता जा रहा है।
नगरवासियों का सीधा सवाल है कि आखिर वर्षों से सबस्टेशन की मांग के बावजूद समाधान क्यों नहीं हो पाया? क्या मेंटेनेंस और योजनाएं सिर्फ कागज़ों तक सीमित हैं? प्रशासन और बिजली विभाग को अब जवाबदेही से बचने की बजाय ठोस कदम उठाने होंगे, वरना आने वाले समय में आंदोलन की चेतावनी को नकारा नहीं जा सकता।