पत्रकारों पर सत्ता समर्थित गुंडागर्दी का एक और मामला सामने आया है। रायगढ़ जिले के जुटमिल थाना क्षेत्र में, बीती शाम, भाजपा नेता रविंद्र भाटिया के बेटे तरनजीत भाटिया ने पत्रकारों पर सरेआम हमला किया।
यह घटना थाना भवन के ठीक सामने हुई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि पुलिस प्रशासन मौन दर्शक बना रहा। पत्रकार राजा खान, दीपक शोमवानी, और मनीष सिंह को गालियां दी गईं, धक्कामुक्की हुई, और धमकाया गया—”साइड हट ले, नहीं तो एक फटके में गिरा दूंगा!”

क्या अब पत्रकारों को रिपोर्टिंग करने के लिए माफियाओं की इजाजत लेनी होगी? तरनजीत भाटिया और उसके साथी पहले से ही अपराधी प्रवृत्ति के हैं, लेकिन प्रशासन उनकी हरकतों पर चुप क्यों है?
इस घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है, जो दर्शाती है कि अपराधियों को कानून का कोई डर नहीं है। थाने के सामने गुंडागर्दी हो रही है, तो आम जनता की सुरक्षा की क्या उम्मीद की जा सकती है?
इस बर्बर हमले से पत्रकारों में दहशत का माहौल है। लोकतंत्र में यदि पत्रकार ही सुरक्षित नहीं रहेंगे, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की क्या गारंटी होगी?

अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है या यह भी एक और उदाहरण बनकर रह जाएगा कि कैसे सत्ता समर्थित गुंडागर्दी बेलगाम होती जा रही है।
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